
कलयुग दर्शन (24×7)
अवधेश भूमीवाल (संवाददाता)
हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में मार्गदर्शन बिहार के बक्सर में 108 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन हुआ। श्रीराम की शिक्षा-भूमि बक्सर में इस युग के श्रीराम (युगऋषि पं श्रीराम शर्मा आचार्य) के शिष्यों ने भव्य 108 कुण्डीय महायज्ञ सनातन संस्कृति के उत्थान के लिए किया गया। महायज्ञ के दौरान दीपमहायज्ञ के अवसर पर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या ने बक्सरवासियों को प्रेरणाप्रद संदेश दिया।
युवा आइकान डॉ. पंड्या जी ने यज्ञ की महत्ता पर गहन रूप से प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक दीपक का जलना हमारे भीतर छिपे अंधकार को दूर करने का प्रतीक है। हमें संकल्प लेना होगा कि हम न केवल अपने जीवन में दिव्यता को स्थापित करें, वरन् समाज में भी शांति और सौहार्द्र का प्रकाश फैलाएं।
गायत्री माता का आह्वान सदैव एकता, प्रेम और मानवता की सेवा का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि हमारा जीवन एक दीप है, जिसका उद्देश्य अज्ञानता के अंधकार से लड़ना और समाज को ज्ञान, सेवा और परोपकार के मार्ग पर अग्रसर करना है। डॉ. पंड्या जी ने यज्ञ की आध्यात्मिक शक्ति को न केवल आत्मिक शुद्धि का माध्यम बताया, बल्कि इसे समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने का शक्तिशाली साधन के रूप में रेखांकित किया।
यज्ञ के दौरान प्रज्वलित किए गए असंख्य दीपक समाज के हर कोने में अच्छाई, सद्भाव और नैतिकता का प्रकाश फैलाने के प्रतीक बने। यज्ञ में सैकड़ों आए साधकों ने इस दीप महायज्ञ के माध्यम से अपने भीतर छिपे अंधकार को दूर कर ज्ञान और धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। वहीं एक अन्य कार्यक्रम में युवा आइकान ने गायत्री परिवार के वरिष्ठ कार्यकताओं को प्रतीक चिह्न, युग साहित्य आदि भेंटकर सम्मानि किया।
[banner id="7349"]