कलयुग दर्शन (24×7)
दीपक झा (संवाददाता)
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर लगातार झुक रहा है, जिससे मंदिर के अस्तित्व पर संकट पैदा हो गया है। हालांकि मंदिर समिति ने तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए कवायद तेज कर दी हैं।
एशिया की सबसे ऊँचाई पर स्थित शिव मंदिर तुंगनाथ मंदिर भू धँसाव से लगातार एक तरफ झुक रहा है। मंदिर के दीवारों पर मोटी-मोटी दरारें आ गई हैं जबकि मंदिर के सभा मंडप में छत से पानी रिस रहा है।
स्थानीय तीर्थ पुरोहित लम्बे समय से मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग कर रहे हैं। लेकिन उनका कहना है कि यहाँ निर्माण कार्यों में वन अधिनियम आडे आ रहे हैं, जिससे मंदिर का जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा है।
पंच केदारों में एक तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर मंदिर समिति ने कवायद तेज कर दी है।
श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय ने कहा कि तुंगनाथ मंदिर में भू धँसाव से मंदिर को हो रहे नुकसान उनके संज्ञान में है और मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए गत वर्ष उनके द्वारा जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया व आर के लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से अध्ययन करवाया गया जिसकी रिपोर्ट मंदिर समिति के पास आ गई हैं।
जबकि सीबीआरआई रूडकी की टीम ने भी तुंगनाथ मंदिर का अध्ययन किया है। इन टीमों की अध्ययन रिपोर्ट में जो भी सुझाव सलाह होगी उसके आधार पर ट्रीटमेंट का कार्य आरम्भ किया जायेगा।
तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ करोड़ों सनातनियों व हिन्दू धर्मावलंबियों की आस्था का केन्द्र है। मंदिर के अस्तित्व पर बढते संकट को लेकर श्रद्धालु भी चिंतित हैं। बहरहाल तुंगनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार जल्दी होगा मंदिर समिति ने ऐसा भरोसा दिया है।
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