आस्थाउत्तराखंड

उत्तराखंड: द्रोणनगरी देहरादून के दरबार साहिब में शाम 4:25 पर हुआ झंडे जी का आरोहन

आस्था के इस पावन पर्व का साक्षी बनने उमड़ा भारी जन सैलाब

कलयुग दर्शन (24×7)

नदीम सलमानी (संपादक)

देहरादून। दरबार साहिब में शाम के समय झंडे जी का आरोहन किया गया। गुरुभक्ति के गीतों व गुरु राम राय जी महाराज के जयकारों के साथ शनिवार को झण्डा साहिब का आरोहण किया गया। आस्था के महाकुंभ का साक्षी बनने के लिए दरबार साहिब में शनिवार को श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। लाखों संगतें व दूनवासी झण्डे जी के सम्मुख श्रद्धा के साथ शीश नवाए व हाथ जोड़े झंडा साहब के दर्शन करने में मत्था टेकने के लिए और गुरु राम राय महाराज के दर्शन के लिए भावविभोर रहे। दरबार साहिब परिसर व आसपास के क्षेत्रों में तिल रखने भर की भी जगह नहीं थी। जैसे-जैसे झण्डे जी पर गिलाफ के आवरण चढ़ाने का क्रम बढ़ता जाता, संगतों व दूनवासियों का उत्साह भी पराकाष्ठा तक पहुंचता जाता।

दर्शनी गिलाफ के चढ़ते ही एवं झण्डे जी के आरोहण की प्रक्रिया प्रारम्भ होते ही गुरु राम राय जी महाराज के जयकारों से पूरा दरबार साहब गूंज उठा। शनिवार शाम 4:10 मिनट पर जैसे ही दरबार साहिब देहरादून के सज्जादे गद्दी नशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने आरोहण की प्रक्रिया शुरू करने का संदेश दिया वैसे ही पूरी द्रोणनगरी गुरु राम राय जी महाराज के जयकारों से गूंज उठी। 4 बजकर 25 मिनट पर झण्डे जी का आरोहण पूर्णं हुआ। साथ संगतों व दूनवासियों ने गुरु राम राय जी महाराज के जयकारे लगाए व ढोल की थाप पर जमकर नृत्य किया। इसी के साथ देहरादून के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत झण्डे जी के मेले का विधिवत शुभारंभ हो गया।

शनिवार सुबह सूर्य की पहली किरण भी धरती पर नहीं पड़ी थी कि दरबार साहिब परिसर एवं आस-पास का क्षेत्र संगतों व दूनवासियों से खचाखच भर गया। शनिवार सुबह हुई बूंदाबांदी व बारिश को संगतों एवं श्रद्धालुओं ने गुरु राम राय जी महाराज के आशर्वाद स्वरूप ग्रहण किया। झण्डे जी को उतारने के लिए संगतें झण्डे जी के नीचे एकत्र हो गईं। झण्डे जी को उतरते व फिर चढ़ते देखना अपने आप में अद्भुत एवं अद्वितीय नज़ारा है। इस पुण्य को अर्जित करने के लिए देश-विदेश से आई संगतें इस पावन बेला का साल भर बेसब्री से इंतजार करती हैं। सुबह 7:00 बजे से ही विशेष पूजा अर्चना शुरू हो गई थी। सुबह 8ः00 बजे झण्डे जी को उतारा गया व पूजा अर्चना की गई।

झण्डे जी पवित्र ध्वज दण्ड को संगतों ने सुबह दूध, घी, शहद, गंगाजल व पंचगब्यों से स्नान करवाया। 90 फीट ऊंचे झण्डे जी पर पहले सादे और शनील के गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान झण्डे जी को एक पल के लिए भी ज़मीन पर नहीं रखा जाता। संगतें अपने हाथों पर झण्डे जी को थामे रहती हैं। शनिवार दोपहर करीब 1:30 बजे झण्डे जी पर दर्शनी गिलाफ चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हुई। यह दृश्य देखते हुए संगतों व दूनवासियों के श्रद्धाभाव आंखों से आँशू छलक आए। हर कोई दर्शनी गिलाफ को छूकर पुण्य अर्जित करने के लिए उत्सुक दिखा। शनिवार शाम 4 बजकर 10 मिनट पर नए मखमली वस्त्र और सुनहरे गोटों से सुसज्जित झण्डे जी के आरोहण की प्रक्रिया आरंभ हुई।

दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज के दिशा-निर्देशन में झण्डे जी के नीचे लगी लकड़ी की कैंचियों को थामे श्रद्धालुजन झण्डे जी को उठा रहे थे। शनिवार शाम 4 बजकर 25 मिनट पर झण्डे जी का आरोहण हुआ। पूरा दरबार साहिब परिसर व निकटवर्ती समूचा क्षेत्र गुरु राम राय जी महाराज के जयकारों से गूंज उठा। इसी दौरान एक बाज ने भी झण्डे जी की परिक्रमा की। झण्डे जी के आरोहण के समय बाज की इस चमत्कारी उपस्थिति को गुरु राम राय जी महाराज की सूक्ष्म उपस्थिति के रूप में हर साल दर्ज किया जाता है। इसके साथ ही खुशियों में सराबोर संगतें व दूनवासी झूमने लगे।




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