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उत्तराखंड चमोली: थराली के पिंडर घाटी में मेलों का हुआ आगाज, बैसाखी पर्व से विभिन्न स्थान पर लगेंगे मेले

कलयुग दर्शन (24×7)

सागर कुमार (सह संपादक)

चमोली थराली पिंडर घाटी में बैसाखी के पर्व से शुरू होने वाले मेलों का आगाज हो गया है। विभिन्न स्थानों में लगने वाले मेलों के आयोजन के पहले दिन कुलसारी तथा पंती में देव डोलियों का गंगा स्नान तथा मिलन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। देवभूमि में यहां का जनमानस अपने देवी देवताओं के साथ पारंपरिक सांस्कृतिक विरासत को सजाए हुए हैं। वहीं पिंडर घाटी में बैसाखी के पर्व से शुरू होने वाले मेलों में पहले दिन 13 अप्रेल को कुलसारी में कुलसारी महादेव, माल से मलियाल महादेव तथा भटियाणा से मां कुंवारी के पश्वा के साथ देवी देवताओं के ध्वज निशान लेकर गाजे बाजे, ढोल, भूनकोर, शंखनाद के साथ पिंडर नदी में गंगा स्नान कर दक्षिण काली सूर्य मंदिर कुलसारी में मिलन कर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हैं। पंती में मीग से मीगेश्वर महादेव माल से मालेश्वर महादेव, असेड से मृत्युंजय महादेव, कोब से कोबेश्वर महादेव तथा निलाडी से कालिका की डोली वह निशान गंगा स्नान कर कर पूजा अर्चना करते हैं।

बैसाख 14 अप्रेल को माल गांव में मालेश्वर महादेव तथा मीग गांव में मीगेश्वर महादेव मेले का आयोजन किया जाएगा। 15 अप्रेल को कोब में कोबेश्वर महादेव व खनोली मेले का आयोजन किया जाएगा। 16 अप्रेल को असेड में मृत्युंजय महादेव मेले तथा 17 अप्रैल को मॉल में मलियाल देवता तथा हंस कोटी मेंले का आयोजन किया जाएगा। वहीं पूर्णिमा के दिन मां कुंवारी मेले के साथ ही मेलों का समापन होगा। कुलसारी मेला अध्यक्ष गजपाल सिंह भंडारी, व्यापार संघ अध्यक्ष महिपाल सिंह भंडारी, प्रधान नरेश सती, दलबीर भंडारी का कहना है हजारों वर्षों से चली आ रही परंपरा को आज भी बड़े उत्साह तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बैसाखी के पर्व से जहां पंजाब में फसल कटाई शुरू होती है, वहीं उत्तराखंड में भी फसलों की कटाई के साथ लोग अपने क्षेत्र तथा गांव की खुशहाली के लिए अपने-अपने देवी देवताओं को गंगा स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं। इस अवसर पर थराली के थाना अध्यक्ष देवेंद्र पंत अपनी टीम के साथ सुरक्षा व्यवस्था में लगे रहे।




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