
कलयुग दर्शन (24×7)
दीपक झा (संवाददाता)
हरिद्वार। आज महाशिवरात्रि का पावन पर्व है। इस अवसर पर भक्तभगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह के पावन पर्व महाशिवरात्रि पर पूरे देश में आस्था और भक्ति की लहर दौड़ रही है। धर्मनगरी हरिद्वार में भी शिवभक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है। खासकर कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी जा रही है।
दक्ष मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए भक्त सुबह 4 बजे से ही लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। मंदिर परिसर “हर-हर महादेव” के जयघोष से गूंज उठा है। श्रद्धालु दूध, जल, बेलपत्र और भांग-धतूरा अर्पित कर भोलेनाथ की आराधना कर रहे हैं।
हरिद्वार के विभिन्न मंदिरों में भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है। महाशिवरात्रि के विशेष अवसर पर शिवालयों को आकर्षक फूलों और रोशनी से सजाया गया है। कांवड़ लेकर लौट रहे श्रद्धालु भी मंदिरों में जलाभिषेक कर रहे हैं। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क है, ताकि किसी तरह की अव्यवस्था न हो।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन जो भक्त सच्चे मन से भोलेनाथ की आराधना करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। श्रद्धालु इस पावन दिन का अधिकतम लाभ उठाने के लिए व्रत रखकर रात्रि जागरण और शिव पूजन कर रहे हैं।
हरिद्वार में शिवभक्ति का ऐसा नजारा देखने लायक है, जहां आस्था और श्रद्धा का संगम देखने को मिल रहा है। आपको बता दे महाशिवरात्रि पर्व हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है। जो भगवान शिव की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ता है।
महाशिवरात्रि का महत्व भगवान शिव की पूजा और उनके साथ जुड़ने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान शिव की शक्ति और उनके अवतार को दर्शाता है। महाशिवरात्रि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान और पूजा की तैयारी करें, भगवान शिव की पूजा करें और उन्हें जल, दूध, और फूल चढ़ाएं, भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें और उनकी आरती करें, रात्रि में जागरण करें और भगवान शिव की पूजा करें।
इस तरह विधि विधान से पूजा पाठ करने से भगवान शिव अपने भक्तों को मनवांछित फल देते हैं एवं उनके सभी कष्टों को हरते हैं। महाशिवरात्रि के दिन भक्तों द्वारा विधि विधान से पूजा पाठ करने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।
इस दिन पूजा करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, भक्तों के सभी पापों का नाश होता है,मन की शांति और आत्मा सुख प्राप्त होता है,शिव भक्तों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है। इस प्रकार, महाशिवरात्रि एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान शिव की पूजा अर्चना कर भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए एवं उनके साथ जुड़ने के लिए मनाया जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर्व पर भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हिंदू धर्म के रीति रिवाज के अनुसार हुआ था। जो भगवान शिव की जीवन कहानी में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। माता पार्वती का जन्म हिमालय के घर में हुआ था। वह भगवान शिव की भक्त थीं और उन्हें अपना पति बनाना चाहती थीं।
माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। उन्होंने भगवान शिव की पूजा की और उन्हें अपना पति बनाने के लिए प्रार्थना की। भगवान शिव माता पार्वती की तपस्या और भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी पत्नि बनाने के लिए तैयार हुए।
भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हिमालय के घर में हुआ था। इस विवाह में सभी देवता और ऋषि एवं भूत प्रेत आदि उपस्थित थे। भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह एक आदर्श विवाह माना जाता है।
भगवान शंकर और माता पार्वती के विवाह से भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इस प्रकार, भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण घटना है, जो भगवान शिव की जीवन कहानी में एक महत्वपूर्ण अध्याय है।
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