रामनगर: मानसून सीजन में उफनते नाले दे रहे हादसों को न्यौता, अपनी जान हथेली पर रखकर नाला पार कर रहे लोग
कलयुग दर्शन (24×7)
सागर कुमार (सह संपादक)
रामनगर। हर साल मानसून सीजन में नदी-नालों का जलस्तर बढ़ जाता है। कई बार लोग उफनते नालों को पार करते दिखाई देते हैं, जो उनकी जान पर भारी पड़ जाता है। वहीं हादसों के बाद भी प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
कुमाऊं और गढ़वाल को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-309 पर स्थित 6 से 7 बरसाती नालों को हर साल लोग जान जान जोखिम में डालकर पार करते हैं। इन बरसाती नालों में वाहनों के बहने की घटनाएं भी सामने आती रही हैं। जिसके बाद भी प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनाई गई है। जिससे लोगों को बरसात के सीजन में जान तक गंवानी पड़ती है।
रामनगर को कुमाऊं और गढ़वाल का प्रवेश द्वार कहा जाता है। नेशनल हाईवे-309 पर रामनगर से अल्मोड़ा के सल्ट क्षेत्र तक पड़ने वाले 6 से 7 बरसाती नालों में हर साल कुमाऊं और गढ़वाल को जाने वाले यात्री जान जोखिम में डालकर बरसाती नालों को पार करते हैं। जिससे कई बार वाहन बहने की घटनाएं भी होते रहती हैं और पिछले 15 वर्षों में कई लोगों की जान इन बरसाती नालों में बहने से हो चुकी है।
गौर हो की रामनगर से अल्मोड़ा जिले के सल्ट क्षेत्र तक 6 से 7 बरसाती नाले हर वर्ष यात्रियों के लिए मुसीबत का सबब बनते हैं। ये बरसाती नाले 15 सालों कई लोगों की जान ले चुके हैं। उसके बावजूद भी प्रशासन आज तक इन नालों के ट्रीटमेंट को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया।
बता दें कि नेशनल हाईवे-309 पर रामनगर से कुमाऊं और गढ़वाल को जाते समय पहला बरसाती नाला रिंगोडा से आगे पड़ता है।
दूसरा बरसाती नाला मवाड़ी (ढिकुली) में पड़ता है, तीसरा बरसाती नाला छोटा पनोद, चौथा पनोद बरसाती नाला, पांचवा धनगढ़ी, छटा अल्मोड़ा जिले के सल्ट क्षेत्र में पन्याली नाला व सातवां भी पन्याली नाला ही पड़ता है, जो घूमकर रोड पर आता है।
नालों के उफान पर आने पर लोगों को कई घंटे इंतजार करना पड़ता है, कई बार रात-रात भर इन नालों के बीच में यात्रियों को इंतजार करना पड़ता है।
साथ ही यात्री कई बार जान जोखिमों में डालकर अपने वाहनों को भी इन उफनते बरसाती नालों में डाल देते हैं। जिससे पूर्व में कई हादसे हुए हैं। इस बार भी कई यात्री वाहनों सहित इन नालों में बहे, लेकिन गनीमत रही कि कोई जनहानि की घटना सामने नहीं आई।
पनोद व धनगढ़ी नाले में पुल के निर्माण का कार्य पिछले 3 वर्षों से गतिमान है, जिसको केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा ने 2025 में पूर्ण करने की बात कही।
वहीं मामले में रामनगर उपजिलाधिकारी राहुल शाह ने कहा कि प्रशासन द्वारा इन बरसाती नालों के पास जेसीबी को तैनात किया गया है। नाले के उफान पर आने पर सड़क पर मलबा इकट्ठा हो जाता है उसे तत्काल हटाकर आवाजाही दुरुस्त की जा रही है।
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