कलयुग दर्शन (24×7)
सागर कुमार (सह संपादक)
हरिद्वार। एक जमाने में उत्तराखंड के दिग्गज कांग्रेसी नेता पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खासमखास रहे। कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने हरदा को चुनावी मझधार में अकेला छोड़ कर भाजपा का दामन थाम लिया है। कांग्रेस के इन दिग्गज नेताओं ने हरीश रावत पर परिवारवाद का आरोप लगाया है। कांग्रेसी से भाजपाई बने इन दिग्गज नेताओं का कहना है कि हरीश रावत ने अपने परिवार को बढ़ावा देने के चक्कर में उत्तराखंड में कांग्रेस की बलि चढ़ा दी है। 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने हरिद्वार के स्थानीय नेताओं की उपेक्षा करके हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से अपनी बेटी अनुपमा रावत को विधायकी का चुनाव लड़वाया और उनकी बेटी ग्रामीण हरिद्वार से विधायक बन गई और हरीश रावत की अपने परिवार को आगे बढ़ाने की राजनीतिक भूख और अधिक बढ़ गई और उन्होंने इस बार लोकसभा चुनाव में अपने बेटे वीरेंद्र रावत को कांग्रेस हाई कमान पर दबाव डालकर हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र से पार्टी का टिकट दिलवा दिया और उन्हें अपने परिवार के चक्कर में कांग्रेस के स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की वफादारी का ख्याल भी नहीं आया। एक जमाने में हरीश रावत के राजनीतिक सलाहकार रहे पुरुषोत्तम शर्मा अपने साथियों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं।
पुरुषोत्तम शर्मा का कहना है कि हरीश रावत को 2009 में हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र की जनता ने राजनीतिक संजीवनी दी थी और उन्हें भारी बहुमत से जीता कर संसद में भेजा था और वे केंद्र में मंत्री बने। उसके बाद 2013 में हरीश रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बने। यह सब उन्हें हरिद्वार की जनता के आशीर्वाद के कारण ही मिला और उसके बाद मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने कांग्रेस के स्थानीय नेताओं की उपेक्षा करके परिवारवाद को बढ़ा देते हुए अपनी पत्नी रेणुका रावत को लोकसभा का चुनाव लड़वाया और उन्हें हरिद्वार की जनता ने ठुकरा दिया। उसके बाद उन्होंने खुद 2017 में हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और हार गए। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस के दिग्गज नेता रुड़की नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष दिनेश कौशिक का कहना है कि हरीश रावत ने अपने परिवार को आगे बढ़ाने के लिए सभी सीमाएं तोड़ दी और अपने बेटे को लोकसभा चुनाव में उतार दिया जबकि उन्हें मालूम है कि उनका बेटा चुनाव बुरी तरह से हारेगी। परंतु परिवारवाद के मोह में हरीश रावत ने उत्तराखंड में कांग्रेस की लुटिया डुबो दी है।
कांग्रेस की एक बड़े नेता स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने भी कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया है। उनका कहना है कि हरीश रावत परिवारवाद के चक्कर में उत्तराखंड में कांग्रेस का नामोनिशान मिटाने में लगे हैं। स्वामी जी का कहना है कि जब हरीश रावत के पास हरिद्वार में कोई ठिकाना नहीं था, तब उन्होंने अपने आश्रम के द्वार हरीश रावत के लिए खोल दिए थे और हरीश रावत पर हरिद्वार की जनता ने बहुत विश्वास किया परंतु हरीश रावत ने हरिद्वार की जनता के साथ हमेशा विश्वासघात किया। 2019 के लोकसभा चुनाव में हरीश रावत हरिद्वार की जनता को उनके ही हाल में छोड़कर नैनीताल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने चले गए और बुरी तरह हार गए। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले दिग्गज नेताओं में उत्तराखंड कांग्रेस सेवा दल के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व राज्य मंत्री राजेश रस्तोगी, मुख्यमंत्री रहते हरीश रावत के ओएसडी रहे पुरूषोत्तम शर्मा, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राजेंद्र चौधरी, अर्जुन ठाकुर, दीपक जखमोला, सत्यनारायण शर्मा, तोष जैन, मोनिका जैन, स्वामी ऋषिश्वरानंद, दिनेश कौशिक, एसपी सिंह इंजीनियर, पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष दिनेश कौशिक, महिला कांग्रेस की प्रदेश महामंत्री रश्मि चौधरी सहित सैकड़ो कांग्रेस के नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है।
हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पूर्व मंत्री नगर विधायक मदन कौशिक की मौजूदगी में उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इन सब कांग्रेसियों को भाजपा की सदस्यता दिलवाई और संतों और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के चुनावी समर में कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल होने को बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए नेताओं पर अपनी खीझ उतारते हुए हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने वाले नेता अत्यंत महत्वाकांक्षी है। उनका कोई जनाधार नहीं है और इन दगाबाज नेताओं की बढ़ती महत्वाकांक्षा पूरी करना उनके बस की बात नहीं थी और अब भाजपा उनकी महत्वाकांक्षा पूरी करेगी। इतना ही नहीं हरीश रावत ने आरोप लगाया कि जमीनों को खुर्द बुर्द करना और अधिकारियों के तबादले करने के नाम पर उगाही करना ही इन दल बदलू नेताओं का मुख्य धंधा बन गया था। रावत का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए भाजपा में जाने वाले कुछ नेताओं की गरीबी को देखकर उनकी मदद की थी लेकिन अब वे अमीर हो गए और इसीलिए वे और अमीर बनने के लिए भाजपा में चले गए है।
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