रामनगर: जिम कॉर्बेट के जंगलो मे लगे ड्रोन कैमरे कर रहे है महिलाओ की प्राइवेसी भंग, कैद हो रही है वीडिओ फोटो
कलयुग दर्शन (24×7)
नरेश कुमार मित्तल (संवाददाता)
उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से चौकाने वाली खबरें सामने आई है जो चिंता पैदा करती है। यहां जंगली जानवरों पर नजर रखने के लिए लगाए गए कैमरा ट्रैप और ड्रोन जैसी डिजिटल तकनीकें जंगल के पास के गांवों और बस्तियों में रहने वाली महिलाओं की प्राइवेसी को कैद कर रहे हैं। ये गैजेट इन महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं।
इस बारे में हुई एक रिसर्च से खुलासा होने के बाद अब वन विभाग ने इस बारे में जांच शुरु कर दी है। दरअसल, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं त्रिशांत सिमलाई और क्रिस सैंडब्रुक के शोध लेख ‘जेंडर्ड फॉरेस्ट: डिजिटल सर्विलांस टेक्नोलॉजीज़ फॉर कंजर्वेशन एंड जेंडर-एनवायरनमेंट रिलेशनशिप’ ऐसी कई घटनाओं को डॉक्यूमेंटिड करता है। इसमें जिसमें एक ऐसी घटना भी शामिल है, जिसमें अर्धनग्न महिला की शौच करते हुए तस्वीर “अनजाने में” कैमरे में कैद हो गई थी।
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, महिला ऑटिस्टिक से पीड़ित थी और हाशिए पर पड़े एक जाति समूह से आती है। इसके चलते अपने परिवार या अन्य महिलाओं को फोटो खींचने के बारे में किसी को बता नहीं पाई। मामला तब और बदतर हो गया, जब हाल ही में अस्थायी वन कर्मियों के रूप में नियुक्त हुए युवकों ने इस तस्वीर को एक्सेस कर लिया और इसे लोकल सोशल मीडिया ग्रुप्स में शेयर कर दिया।
यह शोध 24 नवंबर को प्रकाशित हुआ, जिमसें कहा गया है कि इस दुर्व्यवहार के चलते महिला के गांव के लोग बेहद नाराज हो गए और उन्होंने गुस्से में आसपास के वन क्षेत्रों में कैमरा ट्रैप को तोड़ डाला और वन कर्मियों के स्टेशन को आग लगाने की धमकी दी।
अध्ययन में आगे कहा गया है कि इन तकनीकों ने जंगलों में घूमते समय गाने या ऊंची आवाज में बातचीत करने जैसी पारंपरिक प्रथाओं को भी कम कर दिया है। वन्य क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का घूमते वक्त गाना और ऊंचा बोलना न केवल सांस्कृतिक रूप से अहम हैं, बल्कि इससे वे जंगली जानवरों के हमलों को भी रोक पाते हैं।
सर्वे के मुताबिक एक महिला ने बताया जंगल में लगे इन कैमरो की वजह से प्राइवेसी लीक होने के डर से जंगली जानवरों के हमले भी बड़े हैं अगर हम गाते नहीं या ऊंची आवाज में बात नहीं करते, तो उसके हम पर हमला करने की संभावना बनी रहती है।” शोध के दौरान 2019 में 14 महीने में कॉर्बेट के पास की बस्तियों में 270 लोगों से बात की।
संयोग से शोध के दौरान इंटरव्यू की गई एक महिला की तब से बाघ के हमले में मौत हो चुकी है। कॉबेट डारेक्टर डॉ साकेत बडोला इस मामले मे बचते नजर आये और सफाई देते हुए कहा यह आरोप निराधार है इनकी जाँच की जा रही है।
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