उत्तराखंडसाहित्य

कलम प्रयाग द्वारा युवा कवि सम्मेलन, कविताएं चली गंगा तट की ओर का द्वितीय संस्करण संपन्न

कलयुग दर्शन (24×7)

नदीम सलमानी (संपादक)

हरिद्वार। कवि सम्मेलन का शुभारंभ सभी कवि-कवयित्रियों ने मां सरस्वती की वंदना और दीप प्रज्ज्वलित कर किया। हरिद्वार के वीर रस के युवा कवि दिव्यांश दुष्यंत ने आज की भारत की स्थिति को देखते हुए कहा- लहरों को चीरेंगे कदम नहीं रुकने देंगे, देश के गद्दारों को अब नहीं टिकने देंगे, बहुत सताया मेरी भारत मां को अब सुन लो तुम, हम रहेंगे जिंदा भी और देश नहीं झुकने देंगे। उन्होंने आज की राजनीति पर तंज कसते हुए कहा- राजनीति को थप्पड़ देने वाले आ गए हैं अब, काले बादल बेवजह ही कैसे छा गए हैं अब, लोकतंत्र का चीर हरण ऐसे तो ना करना था, युद्ध जीतना चाहते थे तो तुमको रण में लड़ना था। गुप्तकाशी से आयी ओज रस की कवयित्री नेत्रा थपलियाल ने अपनी कविताओं में भगवान शंकर की महिमा का वर्णन किया- तुम भोले तुम प्रलयंकारी हो, रूप तुम्हारा कपूर गौरवर्ण तुम पाशुपतास्त्र धारी हो, करती हूं पुष्प कविता के अर्पण तुम नेत्रा के त्रिनेत्र धारी हो।

इस कार्यक्रम में वरिष्ट समाज सेवी श्री जगदीश लाल पाहवा ने कवियों को सम्मानित करते हुए उन्हें शॉल एवं चेन भेंट की। संस्था (कलम प्रयाग) के संस्थापक एवं क्रार्यक्रम के आयोजक श्री देविन्द्र सिंह रावत ने कहा कि कवि समाज का आईना होता है और उनकी समाज को सुधारने में अहम भूमिका है उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, लेकिन अब इसे साहित्य नगरी भी बनाना है। साहित्य युवा को पथ भ्रमित होने से बचाता है एवं हमारी संस्कृति को विकास की ओर ले जाता है।

हरिद्वार के ही श्रृंगार एवं हास्य रस के युवा कवि प्रशांत कौशिक ने अपनी कविताओं में युवाओं के दिल की बात को सुनाया- तू रूठे मैं मनाऊं तुझको यह ख्याल कितना मीठा है और तू हंसकर बोले कि यह लड़का कितना सीधा है। उन्होंने आगे सुनाया- जूते के हैं पैसे रखे कब से मैंने जेबों में, कब बुलवाएगी तू मुझको जीजा अपनी बहनों से। जयपुर से आए युवा हास्य कवि प्रियम आर्य ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को खूब हंसाया- कांटों पर बैठी तितलियां अच्छी नहीं लगती, यादों में मुझे हिचकियां अच्छी नहीं लगती, जिस दिन से यारों उसने मुझे भाई कहा है उस दिन से मुझे लड़कियां अच्छी नहीं लगती।

आज की टेक्नोलॉजी पर उन्होंने और हंसाया- तस्वीर तेरी मैने देखी आंखें जगा- जगा के, कोई और देख ना ले सबको भगा- भगा के, पहले तो सोचते थे कुदरत का करिश्मा है, पागल बना दिया है फिल्टर लगा- लगा के। देहरादून से आई श्रृंगार रस की एक और कवित्री मनीषा भंडारी ने अपनी कविताओं में कहा – खयालों में ही संग उसके जहां भर में घूम लेती हूं, अधरों पर लिए मुस्कान स्वयं ही झूम लेती हूं, दरस को तरस जाए जब नयन मेरे तो डीपी जूम कर उसकी मैं माथा चूम लेती हूं।

नोएडा के युवा शहर आलोक यादव ‘जशनूर’ ने कुछ यू पेश किए अपने शायरी के अशरार- उसकी हंसी पर मैं अपनी शायरी खर्च करता हूं, वह होंठ दबा लेती है मैं जब भी कुछ अर्ज करता हूं। उन्होंने कुछ और शायरी कही- सीख कर तेरी जुदाई से ए हमसफर मुझे मौत तक हर हद से गुजर जाना है, लगता है सफर तन्हा ही करना पड़ेगा क्योंकि दर्द को दर्द से दर्द तक ले जाना है, तमन्ना है इस राह-ए-शिकस्त में एक बार तुझे भी खींचकर ले जाना है और बस नहीं चलता मेरा तुझे बदनाम करने का वरना मरने से पहले तेरा नाम कागज पर लिख जाना है। कार्यक्रम में आए समाजवादी पार्टी के डॉ राजेंद्र पराशर, निवर्तमान पार्षद कन्हैया खेवड़िया, मोनिका सैनी ने सभी कवि- कवयित्रियों को कार्यक्रम की समाप्ति पर ससम्मान स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस कार्यक्रम का आयोजन श्री देविन्द्र सिंह रावत की निगरानी में हुआ। इस कार्यक्रम का संचालकन कवि दिव्यांश दुष्यंत ने किया। कवि सम्मेलन में मां भागीरथी सेवा ट्रस्ट ने अपना सहयोग दिया।




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