उत्तराखंड

युवा देख रहे देसंविवि में अपना भविष्य, विवि में पोलैंड की भाषा भी सिखाई जायेगी

कलयुग दर्शन (24×7)

अवधेश भूमीवाल (संवाददाता)

हरिद्वार। हरिद्वार स्थित देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के अनूठे पाठ्यक्रम व गतिविधियों में देश-विदेश के युवा अपना भविष्य देख रहे हैं। अपने कैरियर संवारने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश पाने व देसंविवि को जानने समझने के लिए युवा समय-समय विवि पहुँचते हैं। साथ ही देसंविवि के प्रतिकुलपति युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या जी से भेंटकर भविष्य के स्वर्णिम सपनों को पूरा करने के लिए आवश्यक सूत्र प्राप्त करते हैं। इन्हीं शृंखला में येकातेरिना जार्जिवना के नेतृत्व में रूस से 16 युवाओं का प्रतिनिधि मण्डल देसंविवि पहुंचा। उन्होंने शांतिकुंज व देसंविवि के आध्यात्मिक व दिव्य वातावरण में गायत्री महामंत्र की साधना की और साधना की गहराई में स्नान किया।

सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता के वैश्विक राजदूत प्रतिकुलपति युवा आइकान डॉ. चिन्मय पंड्या जी से भेंटकर साधना, जीवनोत्कर्ष आदि पर मार्गदर्शन पाया। इस दौरान उन्होंने समग्र शिक्षा और मूल्य-आधारित शिक्षा पर जोर दिया गया, जिससे दोनों संस्कृतियों के बीच बंधन मजबूत हुआ। वहीं पोलिश भाषा की प्रतिष्ठित शिक्षिका सैंड्रा स्जनिर देसंविवि पहुंची। वे देसंविवि के विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित पोलिश (पोलैंड की भाषा) लिपि सिखायेंगी और पोलैंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को साझा करेंगी।

वियतनाम से डॉ शिवम मिश्रा के नेतृत्व में एसकेएस योग से जुड़े आठ सदस्यीय दल देसंविवि पहुंचा। दल को संबोधित करते हुए युवा आइकान डॉ. चिन्मय पण्ड्या जी ने योग की परिवर्तनकारी शक्ति और शिक्षा के प्रति विश्वविद्यालय के समग्र दृष्टिकोण पर बहुमूल्य अंतर्दृष्टि साझा की। डॉ. शिवम मिश्रा ने टीम के सदस्यों के साथ विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों का दौरा किया और यहाँ के शैक्षिक और सांस्कृतिक माहौल को मुंक्त कंठ से सराहा। उन्होंने देसंविवि की शिक्षण पद्धति और मूल्य आधारित शिक्षा के बारे में विस्तृत जानकारी पाया।

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