कलयुग दर्शन (24×7)
सागर कुमार (सह संपादक)
धर्मनगरी हरिद्वार में कईं स्नान पर्व पड़ते है मगर गंगा दशहरे का स्नान पर्व अपने आप में विशेष महत्व रखता है। कहा जाता है की आज ही के दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था और आज के दिन गंगा में स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
इसी के चलते हरिद्वार में श्रद्धांलुओं की भारी भीड़ देखने को मिली। तो वहीं भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये। ज्येष्ठ माह की शुक्ल दशमी के दिन मोक्षदायनी मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी जिसके चलते इस दिन को गंगा दशहरा कहा जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार राजा भगीरथ ने अपने पुरखो के तर्पण और मोक्ष प्राप्ति के लिए मां गंगा की कठोर तपस्या कर उन्हें धरती पर अवतरित होने की प्रार्थना की थी। राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ गंगा ज्येष्ठ माह की शुक्ल दशमी के दिन ने भगवान शिव की जटाओ से निकलकर धरती पर आई थी तभी से मां गंगा को भागीरथी के नाम से भी जाना जाता है।
तीर्थ पुरोहितो के अनुसार 10 प्रकार के पाप होते हैं जिनमें से तीन प्रकार के कायकी पाप, चार प्रकार के वाचिक और तीन प्रकार के मानसिक पाप होते है। इन पापों से मुक्ति पाने के लिए गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान कर पूजा, पाठ, यज्ञ और दान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।
गंगा दशहरा के दिन अन धन और वस्तु का दान करना चाहिए। रविवार को गंगा दशहरा के पावन पर्व पर हरिद्वार में भारी संख्या में श्रद्धालुओं का ताँता उमड़ पड़ा। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों के श्रद्धालु शनिवार देर शाम से ही हरिद्वार पहुंचना शुरू हो गए थे। जिसके कारण हरिद्वार के सभी होटल धर्मशालाएं पूरी तरह से भर गए।
गंगा स्नान के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं का मानना है कि गंगा दशहरा पर गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व होता है इसी लिए वे अपने परिजनों के साथ गंगा स्नान को आये है। भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए।
पूरे मेला क्षेत्र को तीन सुपर जोन, 9 जोन मे बाटकर पीएसी समेत 500 सुरक्षा कर्मियों की तैनाती भी गई। साथ जाम की स्थिति से निपटने के लिए रूट डायवर्जन प्लान भी लागू किया गया।
[banner id="7349"]