उत्तराखंड

देहरादून: पिछले एक वर्ष से धरातल पर नहीं उतर पाई बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी के अध्ययन की प्रतिक्रिया

कलयुग दर्शन (24×7)

दीपक झा (संवाददाता)

पिछले एक साल से धरातल पर नहीं उतर पाई बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी के अध्ययन की प्रक्रिया। दरअसल उत्तराखंड राज्य के कई शहर अपनी क्षमता से अधिक भार झेल रहे है। ऐसे में उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य के तमाम शहरों की बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी का अध्ययन करने की बात कही थी। ताकि भविष्य की संभावित आपदाओं से पहले ही अपनी तैयारियों को बेहतर किया जा सके। लेकिन अभी तक इस दिशा में सरकारी तंत्र कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है। प्रदेश के तमाम शहरों के अध्ययन के अखिर क्या है मौजूदा सुरत ए हाल हकीकत सरकार किन-किन शहरों का करने जा रही थी अध्ययन, किन-किन पहलुओं पर किया जायेगा अध्ययन इसी पर देखिए एक खास रिपोर्ट।

पिछले साल 2023 में जोशीमठ शहर के सैकड़ो घरों पर आई दरार के बाद उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के तमाम पर्यटक स्थलों के बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी का अध्ययन कराने का एक बड़ा निर्णय लिया था।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने अध्ययन परियोजना के पहले चरण के तहत मसूरी, लैंसडाउन और नैनीताल सहित प्रदेश के 15 शहरी क्षेत्रों और पर्यटक स्थलों को चिन्हित किया गया था। जहां बड़ी संख्या में देश-विदेश के पर्यटक पहुंचते है। हालांकि, उस दौरान मानसून सीजन खत्म होने के बाद इन शहरों का तकनीकी और वैज्ञानिक अध्ययन शुरू करने का निर्णय लिया गया था लेकिन इस बात को एक साल का वक्त बीत चुका है बावजूद इसके अभी तक अध्ययन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से मिली जानकारी के अनुसार, तकनीकी और वैज्ञानिक अध्ययन के लिए उस दौरान मसूरी, नैनीताल, लैंसडाउन, पौडी, कपकोट, रानीखेत, चंपावत, टिहरी, गोपेश्वर, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, धारचूला, भवाली, पिथोरागढ़ के साथ ही चारधाम यात्रा क्षेत्र की बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी के अध्ययन के लिए चिन्हित किया गया था। हालांकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस बात पर फोकस किया था कि प्रदेश के तमाम शहरों का विशेषज्ञों की ओर से वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन कराया जाएगा। साथ ही उनकी रिपोर्ट के आधार पर शहरों और खासकर पर्वतीय क्षेत्रों में निर्माण कार्यों को मंजूरी दी जाएगी। लेकिन अभी तक चारधाम समेत तमाम पर्यटक स्थलों और शहरों के वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन की प्रक्रिया शुरू तक नहीं हो पाई है।

इस गंभीर मामले पर पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि पर्यटक स्थलों की बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी का आंकलन पर्यटन विभाग भी करेगा। ताकि वास्तविक स्थिति का सबको मालूम है कि पर्यटक स्थलों पर कितने होटल, होमस्टे का निर्माण हुआ है और कितने पर्यटक वहां जा सकते हैं, लिहाजा इन सभी का आकलन करते हुए प्रपोजल बनाया जाएगा। हालांकि, राज्य सरकार ये यात्रा व्यवस्था की बेहतरी के लिए प्राधिकरण बनाने की दिशा में भी मंथन कर रहीं हैं ताकि चार धाम यात्रा और सुगम हो जाएगी।

वही, इस पूरे मामले पर आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि बिना अध्ययन ने बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी पर कुछ भी नही कहा जा सकता है। क्योंकि जब तक स्टडी नहीं कराया ली जाती तब तक ये कहना मुश्किल है कि अत्यधिक जनसंख्या या इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की वजह से मुश्किलें पैदा हो रही है।

फिलहाल कई स्थानों पर स्टडी कराए जाने की प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में अध्ययन होने के बाद जो विशेषज्ञ रिपोर्ट देंगे उसके आधार पर कुछ कहा जा सकता है। तमाम शहरों में स्टडी कराए जाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है जिसके लिए पत्रावली गतिमान है। ऐसे में किस क्षेत्र में किस तरह का अध्ययन कराया जाना है उस पर विचार किया जा रहा है।

जोशीमठ शहर के घरों में पड़ी दरारों और भू-धसाव के बाद प्रदेश भर के कई क्षेत्रों की बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी के अध्ययन को लेकर उठा मामला अभी तक सिर्फ चर्चाओं तक ही सीमित है। क्योंकि पिछले एक साल के भीतर अभी तक अध्ययन कराए जाने वाले शहरों के अध्ययन को लेकर कोई भी प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है।

इसके अलावा इस साल चार धाम की यात्रा के शुरुआती दौर में भारी संख्या में श्रद्धालुओं का चार धाम यात्रा में पहुंचने के बाद भी चारधाम यात्रा के बेयरिंग और कैपेसिटी का मामला काफी चर्चाओ में रहा था। मानसून सीजन बीत चुका हैI ऐसे में अब ये देखना होगा कि बेयरिंग और केयरिंग कैपेसिटी का अध्ययन कराए जाने की अखिर कब तक शुरुआत हो पायेगी ? या फिर ये मात्र कागजों तक ही सीमित रह जायेगी ?




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