कलयुग दर्शन (24×7)
नदीम सलमानी (संपादक)
सावन के महीने की शुरुआत हो गई है। कई सालों बाद ऐसा संयोग बना है जब सोमवार के दिन से ही सावन महीने की शुरुआत हुई है। सावन के पहले सोमवार पर शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।
हरिद्वार के कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सुबह सवेरे से ही श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा है। श्रद्धालु गंगाजल, दूध, दही और बेलपत्र से भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर सुख-शांति की कामना कर रहे हैं।
हरिद्वार की कनखल नगरी भगवान शिव की ससुराल है और मान्यता है कि भगवान शिव सावन के महीने में कनखल में ही निवास करते हैं। यही से सृष्टि का संचालन करते हैं।
माता सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव ने ही राजा दक्ष को कनखल के दक्ष मंदिर में निवास करने का वरदान दिया था और यही कारण है कि साल भर इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। दक्षेश्वर महादेव मंदिर के निकट भगवान शंकर के दरिद्र भंजन महादेव मंदिर की भी मान्यता कुछ कम नहीं है।
इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ के जल अभिषेक के लिए हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। मान्यता है कि जो भक्तजन सच्चे मन और श्रद्धा भाव से महादेव दरिद्रभंजन जी का जलाभिषेक कर श्रद्धा के साथ पूजा अर्चना करते हैं भगवान भोलेनाथ उन भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर उनकी दरिद्रता को भी दूर करते हैं। इसलिए भक्तजन कनखल स्थित शिवालियों में जाकर अपनी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
इसके साथ ही श्रावण मास में देवनागरी हरिद्वार में भगवान भोलेनाथ के भक्त कांवड़ियों के रूप में हरिद्वार आते हैं और मां गंगा जी में स्नान कर गंगाजल को गंगाजली में भरकर अपने-अपने गंतव्यों को जाते हैं।
ऐसी मान्यता है कि जो भक्तजन मां गंगा जी के जल को शिवरात्रि के दिन भगवान शंकर पर चढ़ते हैं उन भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। एवं भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।
ऐसी श्रद्धा भाव लेकर सभी भक्त श्रावण मास में हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री, गोमुख से गंगाजल लेकर कई कई सौ किलोमीटर पैदल चलकर अपने अपने क्षेत्र के शिवालय में गंगाजल से भगवान शंकर का अभिषेक करते हैं।
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