आस्थाउत्तराखंड

शांतिकुंज में नौनिहालों के लिए विशेष बाल संस्कार शाला का आयोजन

कलयुग दर्शन (24×7)

विजय कुमार, विक्की (संवाददाता)

हरिद्वार। हरिद्वार स्थित शांतिकुंज में इन दिनों चल रहे ग्रीष्मकालीन साधना एवं प्रशिक्षण सत्रों में देशभर से आए साधकों के साथ आए नौनिहालों के लिए विशेष बाल संस्कार शाला का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन प्रत्येक वर्ष शैक्षणिक अवकाश के दौरान किया जाता है, जिससे बच्चों के खाली समय का रचनात्मक एवं संस्कारात्मक उपयोग हो सके। गायत्री परिवार की प्रमुख श्रद्धेया शैलदीदी का कहना है कि बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं, उन्हें जैसा आकार दिया जाए, वे वैसा ही बनते हैं। इसी विचार को ध्यान में रखते हुए बच्चों में संस्कार, नैतिक मूल्य और आत्मबल विकसित करने के उद्देश्य से यह अभिनव पहल प्रारंभ की गई है। वर्तमान में इस अभियान का संचालन गायत्री विद्यापीठ की चेयरपर्सन श्रीमती शैफाली पण्ड्या के नेतृत्व में किया जा रहा है। बाल संस्कार शाला में बच्चों को योगासन, ध्यान, नैतिक शिक्षा, व्यक्तित्व विकास, गायत्री महामंत्र साधना एवं लेखन अभ्यास के साथ ही भारत की सांस्कृतिक विरासत से भी परिचित कराया जा रहा है।

सभी गतिविधियाँ खेल-खेल में कराई जाती हैं, जिससे बच्चे सहजता से सीख सकें और उनमें आत्मविश्वास व नैतिक मूल्यों का विकास हो। इस शाला का संचालन शांतिकुंज की प्रशिक्षित बहिनों द्वारा किया जाता है, जो बाल शिक्षा एवं संस्कार क्षेत्र में विशेष दक्षता रखती हैं। यह प्रयास आने वाली पीढ़ी को संस्कारयुक्त, चरित्रवान एवं आत्मनिर्भर नागरिक बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। शांतिकुंज द्वारा यह पहल निरंतर जारी रहेगी, ताकि युग निर्माण आंदोलन के उद्देश्यों को सार्थक किया जा सके। गौरतलब है कि अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी की प्रेरणा से बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, बैंगलुरु, गुजरात सहित अनेक राज्यों में बाल संस्कार शालाएँ संचालित की जा रही हैं, जहाँ वरिष्ठ छात्र छोटी कक्षाओं के बच्चों को मार्गदर्शन देते हैं। यह परंपरा विगत कई दशकों से सफलतापूर्वक चल रही है।

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