उत्तराखंड

ईद उल अज़हा के मुबारक मौके पर सराय गांव में मदरसा तनवीर उल कुरान में हुई अहम मीटिंग

कलयुग दर्शन (24×7)

मो. नदीम (संपादक)

हरिद्वार। ईद उल अज़हा के मुबारक मौके पर सराय गांव में मदरसा तनवीर उल कुरान में अहम मीटिंग हुई। जिसमें सीओ ज्वालापुर अविनाश वर्मा, कोतवाली निरीक्षक अमरजीत सिंह तशरीफ़ लाए और गांव के मोअज्जीज़ लोगों में हाजी मोहम्मद कासिम अंसारी, अकरम अंसारी पार्षद प्रतिनिधि ठेकेदार मोहम्मद इरशाद नूर हसन पूर्व प्रधान नवाब अंसारी हाजी नाजिम, हाजी कौसर, सगीर अहमद जमीयत अलीपुर प्रधान हाजी शफात अली शकील पूर्व प्रधान कलीम अहमद प्रधान प्रतिनिधि के तौर पर शीशपाल और गांव के तमाम जिम्मेदारान हजरात मौजूद रहे।

ईद उल अजहा यानी बकरीद मुसलमानों का बहुत ही अजीम त्यौहार है, जिसे पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के द्वारा अपने बेटे को अल्लाह की राह में कुर्बान किए जाने की याद में मनाया जाता है, हालांकि अल्लाह को उनकी ये कुर्बानी इतनी पसंद आई कि अल्लाह ने हजरत इब्राहिम के बेटे की जगह एक दुम्बे को भेज दिया। कुर्बानी हजरत इब्राहिम की सुन्नत है, जो इस्लामी महीने के आखिरी महीने में आती है। कुर्बानी करना अल्लाह की रजा को हासिल करना है।

हाजी मोहम्मद कासिम अंसारी ने कहा कि कुर्बानी करते समय हमें कुछ खास बातें भी ध्यान रखनी चाहिए। वही हमें गरीबों का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुर्बानी को चार दीवारी के अंदर करें। ईद-उल-अजहा (बकरीद) के दिन कुर्बानी की फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड न करें। खुली जगह या सड़क के किनारे कुर्बानी न की जाए।

उन्होंने कहा कि किसी दूसरे की भावना आहत न हो, इसके लिए सोशल मीडिया पर किसी भी पशु की कुर्बानी का वीडियो या फोटो वायरल ना किया जाए तथा प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी ना की जाए और कुर्बान किये गए जानवरों के अवशेष इत्यादि को खुले में ना डालें। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाए और इस त्यौहार को एक इबादत के तौर पर मिलजुल कर मनाया जाना चाहिए।

हाजी मोहम्मद कासिम अंसारी ने कहा कि कुर्बानी के लिए प्रशासन द्वारा निर्धारित स्थानों का ही प्रयोग करें। जानवरों के अवशेषों को सड़कों, गलियों और नालियों में न फेंके। उन्हें जमीन में दफनाएं या नगर पालिका द्वारा निर्धारित स्थानों पर फेंके। कुर्बानी के स्थान को साफ रखें। कुर्बानी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालने से बचें। यह एक निजी मामला है और इसे सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है।

ईद उल अजहा का मुख्य उद्देश्य अल्लाह के प्रति वफादारी और कुर्बानी का संदेश है। इसलिए, इस अवसर पर सभी को एकजुट होकर धर्म और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

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