उत्तराखंड

शिवालिक नगर स्थित स्थानीय होटल में आनंदम समुदाय के लोगों ने अनोखे ढंग से मनाया पितृ दिवस

कलयुग दर्शन (24×7)

जमशेद अली (संवाददाता)

हरिद्वार। अंतर्राष्ट्रीय पितृ दिवस के मौके पर शिवालिक नगर स्थित स्थानीय होटल में आनंदम समुदाय के लोगों ने अनोखे ढंग से पितृ दिवस मनाया। जिसमें पिता को समर्पित गीत, स्तुति, नाटिका, नृत्य नाटिका और समाज को जोड़ने वाले मूल्य के प्रति लोगों को जागरूक किया गया। इस अनोखे आनंदम कार्यक्रम में 13 साल के बच्चों से लेकर 80 साल और उससे ज्यादा उम्र के वृद्ध लोगों ने भाग लिया। जहां बच्चों ने पिता को समर्पित गीत और नृत्य प्रस्तुत किए, वही 80 वर्षीय आयोजक दंपति श्रीमती रीता और श्यामसुंदर अवस्थी ने अपने हास्य व्यंग्यात्मक लहजे से सब का मन मोह लिया और सबको हंसा-हंसा कर लोटपोट कर दिया। कार्यक्रम के मुख्य आयोजन कर्ता राजेंद्र कुमार अग्रवाल, रीता अवस्थी और श्याम सुंदर अवस्थी थे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती नीता नैयर और रीता अवस्थी ने संयुक्त रूप से किया। जहां एक और युवा पीढ़ी ने अपने बड़ों से उनके जीवन के अनुभव पर आधारित नृत्य नाटिका से सीखा, वही वरिष्ठ नागरिकों ने अपने बीते दिन के सुखद पल गीतों के रूप में संजोय।

हरिद्वार के पूर्व पुलिस अधिकारी सी ओ रहे जेपी जुयाल के गीत ‘कई बार यूं ही देखा है जीवन की यह रखा है, श्री राम वर्मा ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए, और एन के राजू के ‘दूल्हा बिकता है’ के गीतों को सबने सराहा। नीता नैयर और रीता अवस्थी की हास्य नाटिका पति का मुरब्बा ने सभी का खूब मनोरंजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ महिला महाविद्यालय, कनखल में संगीत की प्राध्यापिका डॉ श्वेता सरन के द्वारा गाए गए गणेश वंदना से हुआ और समापन पत्रकार, चिंतक, विचारक, लेखिका डॉ राधिका नागरथ की शिव वंदना से हुआ। रेनु गुप्ता, कुमकुम, आशीया शर्मा, रंजना शर्मा, मीनाक्षी चावला, पूनम, अंजलि कामिनी आदि ने अपनी प्रस्तुतियां दी और दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। इस अवसर पर ज्योति भट्ट ने कुमाऊंनी लोक कला ‘ऐपण’एवं मनीषा सिंह ने स्वनिर्मित पेंटिंग्स की मनमोहन प्रदर्शनी लगाई, जिसकी सभी ने तारीफ की। कार्यक्रम के शुभारंभ में सभी युवक-युवतियों और बच्चों ने सभी वृद्ध जनों पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया। कार्यक्रम बेहद जिंदा दिल रहा और पता भी नहीं चला की ढाई घंटे कब बीत गए। आनंदम समुदाय का हरिद्वार में पितृ दिवस मनाने का अपनी तरह का अनूठा और विशिष्ट पहला प्रयास था, जो बेहद सफल रहा।

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