उत्तराखंड

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर हरिद्वार में आयोजित विभिन्न योग कार्यक्रमों एवं शिविरों में समाज के हर वर्ग की सक्रिय भागीदारी

कलयुग दर्शन (24×7)

जमशेद अली (संवाददाता)

हरिद्वार। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर हरिद्वार में आयोजित विभिन्न योग कार्यक्रमों एवं शिविरों में समाज के हर वर्ग की सक्रिय भागीदारी देखने को मिल रही है। विशेष रूप से मुस्लिम समाज के प्रतिभागियों की उल्लेखनीय उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि योग अब धर्म और समुदाय की सीमाओं से परे एक स्वास्थ्य और एकता का माध्यम बन चुका है। ‎राष्ट्रीय आयुष मिशन, हरिद्वार के नोडल अधिकारी डॉ. अवनीश उपाध्याय ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में आयुर्वेद और योग के प्रति आमजन का रुझान तेज़ी से बढ़ा है। उन्होंने कहा, “हरिद्वार स्थित आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सालयों की ओर लोगों का विश्वास बढ़ा है। योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने का माध्यम नहीं, बल्कि यह समाज में भाईचारे, शांति और समरसता का संदेश भी देता है।



‎राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, सालियर के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. नवीन दास ने जानकारी दी कि सालियर में प्रतिदिन आयोजित होने वाले योग शिविरों में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग भाग ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन शिविरों में महिलाओं की भी सक्रिय भागीदारी है। ‎योग शिविर में शामिल हुए प्रतिभागियों में से अकरम, शमीमा, कय्यूम और सफीना ने भी अपने अनुभव साझा किए। अकरम बताते हैं, पहले मैं तनाव, थकावट और नींद की समस्या से परेशान था। योग करने के बाद अब मैं खुद को शांत, सक्रिय और ऊर्जावान महसूस करता हूं। योग ने मेरी दिनचर्या को संतुलित किया है और मानसिक स्थिति को भी बेहतर बनाया है। कयूम का अनुभव भी कुछ ऐसा ही है। वे कहते हैं, योग से पहले मेरी दिनचर्या अनियमित थी और मैं जल्दी चिड़चिड़ा हो जाता था। अब मैं खुद को बेहतर ढंग से समझ पाया हूं। योग ने आत्मनियंत्रण, अनुशासन और मानसिक स्पष्टता दी है।

‎सफ़ीना ने मुस्कुराते हुए बताया, “योग ने न केवल मेरे शरीर को स्वस्थ बनाया है, बल्कि मन को भी शांत किया है। पहले छोटी-छोटी बातों पर झुंझलाहट हो जाती थी, अब सब्र और संतुलन आ गया है। घर-परिवार संभालना अब पहले से आसान लगता है। इन सभी प्रतिभागियों के अनुभव इस बात की पुष्टि करते हैं कि योग केवल एक शारीरिक क्रिया नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य का भी आधार है। ‎जिला आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी डॉ. स्वास्तिक सुरेश ने कहा, योग न किसी धर्म से बंधा है और न ही किसी वर्ग से। यह भारत की साझा सांस्कृतिक विरासत है, जिसे सभी नागरिक आत्मसात कर सकते हैं। हरिद्वार में आयुष विभाग की पहल से सभी वर्गों को जोड़ने की दिशा में सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। ‎हरिद्वार में इस बार योग दिवस एक स्वस्थ शरीर के साथ-साथ भाईचारे और सामाजिक सौहार्द का भी प्रतीक बनकर उभरा है।

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