
कलयुग दर्शन (24×7)
दीपक झा (संवाददाता)
हरिद्वार। इन दिनों छत्तीसगढ के रायपुर, बलौदाबाजार, कोरबा, दुर्ग, राजनांदगाँव सहित सम्पूर्ण राज्य से सात सौ से अधिक युवाओं का दल गायत्री तीर्थ शांतिकुुंज हरिद्वार पहुंचा है। ये युवा राज्य में बाल संस्कार शाला, पर्यावरण मित्र, व्यसन मुक्त जैसे अनेक रचनात्मक आंदोलन से जुड़ें हैं। इनमें से अनेक युवा प्रतिष्ठित पदों, व्यवसायी, पत्रकार और उच्च प्रशिक्षित हैं, जो केवल राज्य के विकास के लिए संकल्पित हैं। इनका तीन दिवसीय युवा चिंतन शिविर के पहले दिन देवसंंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या जी ने युवाओं के विभिन्न शंकाओं का समाधान बहुत ही सटीक व सरल तरीके से दिया। वे परिवार के एक बड़े भाई की तरह युवाओं को नैतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से सशक्त बनाने के लिए मार्गदर्शन दिया। शांतिकुंज व्यवस्थापक श्री योगेन्द्र गिरि, केन्द्रीय युवा प्रकोष्ठ के समन्वयक श्री केदार प्रसाद दुबे, छत्तीसगढ के समन्वयक श्री ओमप्रकाश राठौर आदि ने भी युवाओं के विविध शंकाओं का समाधान किया। वहीं छत्तीसगढ़ से पहुंचे युवाओं की टीम ने गंगा तट में आत्मोन्नति एवं छग के सांस्कृतिक एवं आर्थिक विकास की कामना करते हुए सामूहिक प्रार्थना की।
इस दौरान युवाओं ने गंगा जल में दीप प्रवाहित कर राष्ट्र की सुख-समृद्धि, शांति और प्रगति की मंगल कामना की। प्रार्थना के इस भावपूर्ण दृश्य ने न केवल उपस्थित जनों को भावविभोर किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि आज का युवा अपने प्रदेश और समाज के प्रति कितनी गहराई से जुड़ा हुआ है। कार्यक्रम के दौरान युवाओं ने संकल्प लिया कि वे छत्तीसगढ़ को व्यसनमुक्त, पर्यावरण-संवेदनशील और नैतिक मूल्यों से परिपूर्ण राज्य बनाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएंगे। वे बाल संस्कार शालाओं के माध्यम से आने वाली पीढ़ियों में सद्गुणों का बीजारोपण करेंगे और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए संगठित प्रयास करेंगे। तीन दिवसीय शिविर में आत्मविकास, नेतृत्व कौशल, समाजसेवा और राष्ट्र निर्माण जैसे विषयों पर अनेक सत्रों का आयोजन किया गया है। चिंतन शिविर का उद्देश्य युवाओं को केवल प्रेरणा देना ही नहीं, बल्कि उन्हें एक ठोस दिशा देना भी है, जिससे वे अपने परिवार, राज्य व देश की सेवा में प्रभावी योगदान दे सकें।
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