उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविधालय में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय योग कॉन्फ्रेंस हुई आयोजित, अतिथियों ने व्यक्तियों के स्वास्थय की रक्षा पर की जोरदार चर्चा

कलयुग दर्शन (24×7)
अवधेश भूमीवाल (संवाददाता)
हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार में इंडियन एसोसिएशन आफ योगा और योग विज्ञान विभाग उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय योग कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर किया। इसके बाद आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ कामाख्या कुमार ने अतिथियों का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया। बी के सिंह ने योग एक जीवन जीने की कला साथ हि कहा कि नियमित योग करने वाला व्यक्ति सदैव अपने स्वास्थय की रक्षा कर सकता है।
डॉ मंनूनाथ एन. के ने अपने कीनोट लेक्चर में योग के वैज्ञानिक पहलू में विभिन्न शोधो की चर्चा करते हुए योग को और अधिक प्रभावशली होने का दावा दिया। डा. पॉल मदान ने कहा कि हम सभी को नियमित योगाभ्यास को अपने जीवन का हिस्सा बनना चाहिए।
साथ ही कहा कि युवा पीढ़ी को फोन की लत से दूर योग ही कर सकता है। इसके बाद अपने अध्यक्ष या उद्बोधन में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर दिनेशचन्द्र शास्त्री ने योग के आध्यात्मिक एवं वैदिक पृष्ठभूमि पर चर्चा करते हुए कहा कि “ज्ञानावितं आचरणं विज्ञानम् भवति” ज्ञान अर्थात (यम, नियम, आसन, प्रणायाम प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि) जब हमारे आचरण में परिलक्षित हो जाते है इस ही विज्ञान कहते हैं ज्ञान आचरण के बिना शून्य है ज्ञान की परिणिति से प्रत्येक शब्द विज्ञान बनता है और यह योग पद्धति व्यवस्थित रूप वेदों से प्रारंभ हुई है।
वेदों के उदाहरण देते हुए कहा कि वेद कहते हैं कि भारतीय मनीषा समता का भाव उपदेश करती है साथ ही कहा कि मनुष्य का पांचों ज्ञानेंद्रिय पर नियंत्रण ही योग है। दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र अंत में अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने किया। इस अवसर पर बी के सिंह ने योग एक जीवन जीने की कला के बारे में कहा, कि नियमिव मोम करने वाला व्यक्तित सदैव अपने स्वास्थ्य की रसा कर सकता है।
डॉ मंजूनाथ एन. हे० ने अपने बीजोर लेक्चर में योग के वैज्ञानिक पहलू में विधिन्न शोषों की क्ची करते हुए योग दे अत्यधिक प्रभावशाली होने का दावा दिया। प्रो. दिशचन्द्र शास्त्री जी ने योग के आध्यात्मिक एवं वैदिक पहलू के इतिहास एवं वर्तमान के चर्चा की। डा. पॉल मदान ने नियमित योगाम्याप्स के अपने जीवन में सभी को विद्यार्थियों की सलाह दी, जिससे वे अपने फोन में दिए जाने वाले समय से बचत एवं शौचणिक गुणवत्ता से देश के भविष्य के सुधर पाने की बात कही।
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