आस्थाउत्तराखंड

युग पुरूष स्वामी परमानंद महाराज द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान महंतों की तुलना कुत्तों से करने पर संत समाज में आक्रोश

महंतों को कुत्ता कहने से भड़का संत समाज, बयान की पुनरावृत्ति हुई तो होगी कड़ी कार्यवाही

कलयुग दर्शन (24×7)

दीपक झा (संवाददाता)

हरिद्वार। युग पुरूष स्वामी परमानंद महाराज द्वारा एक कार्यक्रम के दौरान महंतों की तुलना कुत्तों से करने पर संत समाज में आक्रोश है। इस मुद्दे पर संत समाज ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए रोष जताया है। उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व कनखल स्थित वात्सल्य गंगा आश्रम के उद्घाटन के दौरान युग पुरुष स्वामी परमानंद ने अपने सम्बोधन के दौरान एक उद्धरण देते हुए महंतों की तुलना कुत्ते से कर दी थी। जिसके बाद संतों में खासा रोष है। बड़ी बात यह कि यह बयान उस समय दिया गया जब मंच पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता मौजूद थी। इस बयान पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष व श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के श्रीमहंत सचिव स्वामी रविन्द्र पुरी महाराज ने कहा कि ऐसा बयान किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। एक वरिष्ठ संत को सार्वजनिक रूप से इस प्रकार का बयान देना शोभा नहीं देता। कहा कि यदि इस प्रकार के बयान की यदि पुनरावृत्ति होती है तो अखाड़ा परिषद और अखाड़ा कड़ी कार्यवाही करने से पीछे नहीं हटेगा।

उन्होंने कहा कि इस बयान को लेकर समूचे देश के संतों में रोष है और उनसे संतों ने अपना रोष प्रकट किया है। गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश में इस बयान को लेकर सबसे अधिक संतों में रोष है। उन्होंने कहा कि संतों को फिलहाल उन्होंने अपनी ओर से भविष्य में इस प्रकार की हरकत करने पर कार्यवाही का आश्वासन देकर शांत कर दिया है, किन्तु एक वरिष्ठ संत के लिए अर्मादित भाषा का प्रयोग शोभनीय नहीं है। वहीं आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरि महाराज ने कहा कि इस संबंध में स्वामी परमानंद महाराज के शिष्य से उनकी वार्ता हुई है और उन्होंने बयान को लेकर अपना रोष जता दिया है। तथा इस प्रकार की पुनरावृत्ति न करने का भी कड़ा संदेश दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि जो कुछ भी परमानंद महाराज ने कहा वह निंदनीय है। उधर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री व निर्मोही अखाड़े के श्रीमहंत राजेन्द्र दास महाराज ने कहा कि जिन संत ने महंतों की तुलना कुत्ते से की गई है, तो कहने वाला भी एक आश्रम एक मंदिर में निवास करता है, तो यह बात उन पर भी लागू होती है। उन्होंने कहा कि इस अवस्था में आकर के बुद्धि सठिया जाती है, शायद ऐसा ही कुछ उनके साथ हो रहा है। उन्होंने कहा कि संतों को अपनी वाणी में संयम और मर्यादा बनाए रखना चाहिए। संतों के लिए इस प्रकार की बयानबाजी उचित नहीं कहीं जा सकती।

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