कलयुग दर्शन (24×7)
दीपक झा (संवाददाता)
हरिद्वार। दशहरा पर्व पूरे देश में बड़े उत्साह से मनाया जा रहा है। धर्मनगरी हरिद्वार स्थित कनखल के श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा में दशनामी सन्यासी संतो ने दशहरा पर्व के मोके पर शास्त्रों की पूजा की गई।
इनमे प्रमुख भैरव प्रकाश और सूर्य प्रकाश नामक भाले की देवता के रूप में विधि विधान से पूजा की गई। इसके साथ ही आज के युग के आधुनिक हथियार और प्राचीन काल के कई प्रकार के हथियारों की पूजा मंत्रोच्चारण के साथ की गई।
आपको बता दें की दशहरे के दिन आदि जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित दशनामी संन्यासी परंपरा के नागा संन्यासी अखाड़ों में शस्त्र पूजन की परंपरा है।
पिछले 2500 वर्षों से दशनामी संन्यासी परंपरा से जुड़े नागा संन्यासी इस परंपरा का पालन करते हैं और अपने-अपने अखाड़ों में शस्त्र पूजा करते हैं।
सूर्य प्रकाश और भैरव प्रकाश नामक भाले प्राचीन काल से रखे हुए हैं और देवताओं के रूप में पूजे जाते हैं। दशनामी संन्यासी इन देवताओं की वैदिक रीति से पूजा करते हैं।
भाला देवता के रूप में भैरव प्रकाश और सूर्य प्रकाश की पूजा की गई, इसके साथ ही आज के युग के हथियारों और प्राचीन काल के कई प्रकार के हत्यारों की भी मंत्रोच्चारण के साथ पूजा की गई।
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