उत्तराखंड

चंपावत: तीन बहनों ने सामाजिक रीति रिवाज को तोड़ मां के शव को कंधा देकर चिता को दी मुखाग्नि

कलयुग दर्शन (24×7)

नरेश कुमार मित्तल (संवाददाता)

लोहाघाट के राज्य आंदोलनकारी स्वo हीरा बल्लभ गहतोडी धर्मपत्नी हरिप्रिया गहतोड़ी 75 वर्ष की आयु में अनंत ज्योति में विलीन हो गई। हरिप्रिया अपने पीछे तीन बेटियों को छोड़ गई हैं। जिनमें प्रमुख समाजसेवी एवं तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित रीता गहतोड़ी, अंजु ने माता पिता की सेवा के लिए विवाह तक नहीं किया जबकि सबसे छोटी बेटी करुणा शिक्षिका है तथा उन्होंने भी दोनों बहनों की तरह अंतिम समय तक मां की सेवा में लगी रही।

आज भी तीनों बहनों ने सामाजिक वर्जनाओं को तोड़ते हुए मां के शव को कंधा देकर चिता को मुखग्नि दी। तीनों बहनों ने पूर्व में अपने पिता का भी ऐसे ही अंतिम संस्कार व क्रिया कर्म किया था। साथ ही पिताश्री का श्राद्ध भी करती आ रही हैं।

हरिप्रिया की अंतिम शव यात्रा में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लेकर उन्हें अपनी अंतिम श्रद्धांजलि दी वही ऋसेश्वर घाट में उनके जमाई कमलेश भट्ट व तीनों बेटियों ने मुखाग्नि दी। उनके निधन का समाचार मिलते ही राज्य आंदोलनकारी नवीन मुरारी, राजू गरकोटी, भाजपा कार्यकर्ता सतीश चंद्र पांडे, पूर्व जिला पंचायत सदस्य सचिन जोशी, शिक्षक नेता गोविंद बोरा, जिला पत्रकार संगठन के अध्यक्ष सीबी ओली, बल्लू महरा आदि तमाम लोगों का रुख उनके आवास की ओर हो गया।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टमाटर, क्षेत्रीय विधायक खुशाल सिंह अधिकारी, जिला पंचायत अध्यक्ष ज्योति राय, जिलाधिकारी नवनीत पांडे, सीएमओ डॉ देवेश चौहान, ब्लॉक प्रमुख नेहा ढेक, विनीता फर्तयाल, सुमन लता, रेखा देवी, एनआरआई राज भट्ट आदि लोगों ने हरिप्रिया के निधन पर शोक व्यक्त किया।




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