आस्थाउत्तराखंड

तप, त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति थे स्वामी महेश्वरानंद गिरि महाराज: विश्वेश्वरानंद

कलयुग दर्शन (24×7)

सागर कुमार (सह संपादक)

हरिद्वार। श्री सूरतगिरि बंगला गिरिशानंदाश्रम कनखल में आश्रम के ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी महेश्वरानंद गिरि महाराज का 55 वां निर्वाण महोत्सव आश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर आचार्य स्व्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज के सानिध्य में श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर उपस्थित संत-महात्माओं, शिष्यों व विद्यार्थियों ने उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। गुरुवार को ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर आचार्य स्वामी महेश्वरानंद गिरि महाराज का 55 वां निर्वाण महोत्सव श्री सूरतगिरि बंगला गिरिशानंदाश्रम में मनाया गया। इस अवसर पर प्रातः स्वामी महेश्वरानंद गिरि महाराज के श्रीविग्रह का पूजन-अर्चन व आरती की गई। इसके साथी रूद्राभिषेक किया गया। इस अवसर पर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए आश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर आचार्य स्वामी विश्वेश्वरानंद गिरि महाराज ने कहा कि स्वामी महेश्वरानंद गिरि महाराज तप, त्याग व तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने आश्रम को ऊंचाईयों तक पहुंचाया व सेवा के कई प्रकल्प आरम्भ किए, जो आज तक अनवरत जारी हैं। उन्हीं की स्मृति में श्री महेश्वरांनद सांग्डग वेद विद्यालय की स्थापना की गई, जहां आज भी सैंकड़ों विद्यार्थी वैदिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि सूरत गिरि बंगला वैदिक परम्पराओं के उन्नयन के लिए लगातार कार्य कर रहा है। परम्पराओं को संजाने और उन्हें अक्षुण्ण रखने के लिए आश्रम के सभी संत, भक्त, विद्यार्थी अपनी महती भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा बताए गए मार्ग और उनकी दी हुई शिक्षाओं को आत्मसात कर समाज मेें फैली कुरीतियों के समूल नाश के लिए कार्य करने में अपना योगदान देना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। श्रद्धांजलि सभा के पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया गया। आश्रम के कोठारी स्वामी उमाकांतानंद गिरि महाराज की देखरेख में सम्पन्न हुआ आयोजन में संत-महात्मा, भक्तगण, वेदीपाठी व आश्रमस्थ लोग उपस्थित थे।

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