आस्थाउत्तराखंड

गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं: आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी

1 जनवरी को मनाया जाएगा स्वामी कैलाशानंद गिरी का सन्यास दीक्षा दिवस

कलयुग दर्शन (24×7)

दीपक झा (संवाददाता)

हरिद्वार। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि गुरू ही परमात्मा का दूसरा स्वरूप हैं। गुरू ही शिष्यों के जीवन को ज्ञान के प्रकाश से आलोकित कर कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। श्री दक्षिण काली मंदिर में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि गुरू शिष्य परंपरा सनातन धर्म की अनूठी परंपरा है। जिसमें गुरू के सानिध्य में शिष्य धर्म और अध्यात्म का ज्ञान प्राप्त कर मानव कल्याण में अपनी भूमिका निभाता है। शास्त्रों में भी गुरू को ईश्वर के समान स्थान दिया गया है। जो शिष्य अपने गुरू का सम्मान करते हैं और उनके दिखाए मार्ग का अनुसरण करता है। उस पर ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहती है।

स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के शिष्य स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि धर्म शास्त्रों के प्रखर विद्वान गुरूदेव स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज का पंचम सन्यास दीक्षा दिवस 1 जनवरी को धूमधाम से मनाया जाएगा। जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज की अध्यक्षता में श्री दक्षिण काली मंदिर में आयोजित किए जा रहे सन्यास दीक्षा समारोह में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी, महामंत्री हरि गिरी, आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी सहित सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष, राजनीति और समाजसेवा से जुड़े अनेक गणमान्य लोग व हजारांे श्रद्धालु भक्त शामिल होंगे।

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