उत्तराखंड

हरिद्वार: उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ का आयोजन किया गया

कलयुग दर्शन (24×7)

सागर कुमार (सह संपादक)

उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विभाजन के दौरान पीड़ा झेलने वालों को नमन करते हुए उन्हें याद किया गया।

कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश चंद्र शास्त्री ने विभाजन के इतिहास पर विस्तार से चर्चा की। कुलपति शास्त्री ने कहा, “15 अगस्त 1947 को हमारे देश में सत्ता हस्तांतरित हुई, जिसे ‘पावर ट्रांसफर एक्ट’ के तहत खंडित सत्ता प्राप्त हुई थी।

आज 14 अगस्त को हमारे देश का विभाजन हुआ था, जिसमें एक बड़ा क्षेत्र, जहां हिंदुओं की आबादी अधिक थी, उसे भी विभाजित कर दिया गया। इस विभाजन के दौरान लाखों भारतीयों का नरसंहार किया गया।

उन्होंने आगे कहा, “इतिहास की पुस्तकों में भी इस विभाजन का उल्लेख मिलता है। यदि आप गूगल पर सर्च करेंगे या यूट्यूब पर देखेंगे, तो आपको इस विभाजन के भयावह दृश्य दिखाई देंगे। कोई भी जाति तभी जीवित रहती है, जब वह अपने इतिहास को याद रखती है। हमें हमारी संतति से यह बात छुपाई गई कि हमें आजादी सहज भाव से प्राप्त नहीं हुई, बल्कि इसके लिए लाखों-करोड़ों लोगों ने बलिदान दिया।”

कुलपति शास्त्री ने 24 घंटे के अंदर 18 लाख लोगों के कत्ल का जिक्र करते हुए कहा कि यह विभाजन का कड़वा सच है जिसे आने वाली पीढ़ियों को भी समझना चाहिए। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षक, विद्यार्थी, और अन्य कर्मचारी भी उपस्थित थे।

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