उत्तराखंड

धार्मिक यात्राओं पर पड़ रहा पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव: श्रीमहंत राजेंद्रदास

कलयुग दर्शन (24×7)

हिमांशू (संवाददाता)

हरिद्वार। अखिल भारतीय वैष्णव अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है। केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री व गंगोत्री चारों धाम उत्तराखंड में स्थित हैं। हरिद्वार से चारधाम यात्रा का शुभारंभ होता है। प्रतिवर्ष लाखों यात्री चारधाम यात्रा करने उत्तराखंड आते हैं। हरिद्वार में लगने वाले कुंभ मेले व हर साल होने वाले विभिन्न स्नान पर्वो पर गंगा स्नान के लिए देश दुनिया से लाखों श्रद्धालु हरिद्वार आते हैं। हरिद्वार में गंगा स्नान कर चारधाम यात्रा शुरू करने की परंपरा प्राचीन काल से चल रही है। लेकिन भौतिकता व पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव धार्मिक यात्राओं और आयोजनों पर भी पड़ने लगा है। श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में आकर श्रद्धालु पवित्र धामों व तीर्थ स्थलों पर पिकनिक मनाने जैसा व्यवहार करने लगे हैं। तीर्थ स्थलों पर अखाद्य पदार्थो व मदिरा आदि का सेवन किया जाने लगा है। जिससे देवी देवता रूष्ट हो रहे हैं।

देवी देवताओं के रूष्ट होने की वजह से उत्तराखंड समेत पूरे देश को आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि देवस्थानों की गरिमा बनाए रखने के लिए संत समाज आगे आना होगा। इस संबंध में पहल करते हुए वैष्णव अखाड़ा परिषद की और से जल्द अभियान शुरू किया जाएगा। परिषद से जुड़े संत अपने भक्तों को तीर्थ की गरिमा के अनुरूप व्यवहार करने के लिए जागरूक करेंगे। श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि जल्द ही संतों के प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री, गृहमंत्री व विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री से मुलाकात कर देवस्थानों की गरिमा बनाए रखने के लिए कड़े कानून लागू करने की मांग की जाएगी। उन्होंने श्रद्धालुओं से भी तीर्थयात्रा के दौरान धार्मिक नियमों का पालन करने की अपील करते हुए कहा कि मर्यादित आचरण से ही तीर्थ यात्रा और देव दर्शन का पुण्य फल प्राप्त होता है। इसलिए किसी भी देवस्थान पर जाएं तो धर्मानुकुल आचरण करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।

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