आस्थाउत्तराखंड

श्री स्वामी नारायण आश्रम में किया गया संत सम्मेलन, श्रीमद्भावगत कथा ही भव सागर से पार करने का एक मात्र आधार: स्वामी हरिवल्लभ दास शास्त्री

कलयुग दर्शन (24×7)

दीपक झा (संवाददाता)

हरिद्वार। भूपतवाला क्षेत्र में श्री स्वामी नारायण आश्रम में आयोजित श्रीमद्भावगत कथा के छठे दिन संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। बाबा हठयोगी की अध्यक्षता में आयोजित संत सम्मेलन में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष सम्मिलित हुए और गौ सेवा में उल्लेखनीय योगदान के लिए आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी हरिवल्लभ दास शास्त्री महाराज का पगड़ी पहनाकर और शॉल ओढ़ाकर अभिनंदन किया। महंत देवानंद सरस्वती, स्वामी आनन्द स्वरूप, स्वामी निर्मल दास, महंत कपिल मुनि व स्वामी परमानंद ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। संत सम्मेलन में श्रद्धालुओं को आशीवर्चन प्रदान करते हुए श्री स्वामी नारायण आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी हरिवल्लभ दास शास्त्री महाराज ने कहा कि गंगा तट पर संत महापुरूषों के सानिध्य में श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण का अवसर सौभाग्य से प्राप्त होता है। धर्म और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करने वाली श्रीमद्भावगत कथा ही भव सागर पार करने का एक मात्र आधार है।

श्रद्धा और समर्पण के साथ श्रीमद्भावगत कथा का श्रवण करने से कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। लेकिन कथा श्रवण करने का लाभ तभी है। जब कथा से मिले ज्ञान को आचरण में धारण किया जाए। स्वामी हरिवल्लभ दास महाराज ने कहा कि संत समागम से मनुष्य के अंदर के विकार समाप्त हो जाते हैं। संतों के बताए सद्मार्ग पर चलते हुए जीवन को सुखी और समृद्ध बनाएं। बाबा हठयोगी ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। विचारों में बदलाव होने से व्यक्ति के आचरण में बदलाव आता है। उन्होनें कहा कि श्री स्वामी नारायण आश्रम धर्म और सेवा के क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। जिसके लिए आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी हरिवल्लभ दास शास्त्री महाराज बधाई के पात्र हैं। महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि प्रभु नाम स्मरण से कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से पुण्य भाव जागृत होते हैं।

कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि उदार हृदय संत स्वामी हरिवल्लभ दास शास्त्री महाराज के नेतृत्व में श्री स्वामी नारायण आश्रम विभिन्न सेवा प्रकल्प प्रकल्पों के माध्यम से जिस प्रकार समाज के जरूरतमंद वर्ग की सेवा कर रहा है। वह सभी के लिए प्रेरणादायी है। महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरी महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है। स्वामी हरिवल्लभ दास शास्त्री महाराज संत परंपराओं का पालन करते हुए मानव सेवा और गोेसेवा में अहम योगदान कर रहे हैं। कथाव्यास स्वामी कृष्णप्रकाश दास, स्वामी निर्मलदास, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत सूरजदास, स्वामी आनन्द स्वरूप, महंत नारायणदास पटवारी, महंत देवानंद सरस्वती, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत श्यामसुंदर दास, महंत कमलानंद गिरी, महंत शिवम महाराज, महंत स्वामी संतोषानंद, महंत निर्भय सिंह, महंत शिवानंद, स्वामी किशन गिरी, ने भी श्रद्धालु भक्तों को आशीवर्चन प्रदान किए।

[metaslider id="7337"]


[banner id="7349"]

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button