
कलयुग दर्शन (24×7)
दीपक झा (संवाददाता)
हरिद्वार। प्रख्यात विद्वान श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महामंडलेश्वर स्वामी भास्करा नंद महाराज जी ने कहा है कि भारतीय सनातन परंपरा में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नाशिक इन चार प्रमुख तीर्थस्थलों पर प्राचीन काल से महाकुंभ का आयोजन अनवरत रूप से होता आया है। प्रयागराज और हरिद्वार में अर्धकुंभ की परंपरा भी समान रूप से प्रतिष्ठित रही है। महामंडलेश्वर जी ने स्मरण कराया कि मध्यकालीन विदेशी आक्रमणों और विपरीत परिस्थितियों के कारण हरिद्वार के अर्धकुंभ का वैभव धीरे-धीरे क्षीण होता गया।

फलस्वरूप अखाड़ों द्वारा सम्पन्न होने वाला पारंपरिक अमृत (शाही) स्नान दीर्घकाल तक केवल प्रतीकात्मक रूप में रह गया, और अर्धकुंभ का प्राचीन वैभव मानो लुप्तप्राय हो चला। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार ने वर्ष 2027 में हरिद्वार अर्धकुंभ को पुनः उसके पूर्ण, मौलिक और सनातन स्वरूप विशेषतः अखाड़ों के अमृत स्नान के साथ आयोजित करने का जो संकल्प लिया है, वह संत समाज और समस्त धर्म निष्ठ जनों के लिए हर्ष का विषय है। स्वामीजी के अनुसार, यह निर्णय न केवल पावन परंपराओं के पुनरोद्धार का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि हरिद्वार की आध्यात्मिक गरिमा को वैश्विक पटल पर और अधिक प्रतिष्ठित करेगा।
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