उत्तराखंड

अर्द्धकुंभ को कुंभ की तर्ज पर आयोजित करने से होगा सनातन का पुर्नजागरण: महामंडलेश्वर स्वामी भास्करानंद महाराज

कलयुग दर्शन (24×7)

विजय कुमार (ब्यूरो चीफ)

हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महामंडलेश्वर एवं अखंड दयाधाम के परमाध्यक्ष स्वामी भास्करानंद महाराज ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की 2027 में होने वाले अर्द्धकुंभ को कुंभ मेले की तर्ज पर कराने की घोषणा का स्वागत किया है। स्वामी भास्करानंद महाराज ने कहा कि भारतीय सनातन परंपरा में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक इन चार प्रमुख तीर्थस्थलों पर प्राचीन काल से कुंभ मेलों का आयोजन अनवरत रूप से होता आया है। प्रयागराज और हरिद्वार में अर्धकुंभ की परंपरा भी समान रूप से प्रतिष्ठित रही है। भूपतवाला स्थित अखंड दयाधाम में आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए स्वामी भास्करानंद ने कहा कि मध्यकालीन विदेशी आक्रमणों और विपरीत परिस्थितियों के कारण हरिद्वार के अर्धकुंभ का वैभव धीरे-धीरे क्षीण होता गया।

फलस्वरूप अखाड़ों द्वारा सम्पन्न होने वाला पारंपरिक अमृत (शाही) स्नान दीर्घकाल तक केवल प्रतीकात्मक रूप में रह गया और अर्द्धकुंभ का प्राचीन वैभव लुप्तप्राय हो गया था। उन्होंने कहा कि हरिद्वार अर्द्धकुंभ को कुंभ की तर्ज पर आयोजित करने से सनातन का पुनर्जागरण होगा। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान भाजपा सरकार ने वर्ष 2027 में हरिद्वार अर्धकुंभ को पुनः उसके पूर्ण, मौलिक और सनातन स्वरूप विशेषतः अखाड़ों के अमृत स्नान के साथ आयोजित करने का जो संकल्प लिया है, वह संत समाज और समस्त धर्म निष्ठ जनों के लिए हर्ष का विषय है। सरकार का यह निर्णय न केवल पावन परंपराओं के पुनरोद्धार का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि हरिद्वार की आध्यात्मिक गरिमा को वैश्विक पटल पर और अधिक प्रतिष्ठित करेगा। इस अवसर पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी, स्वामी ललितानंद गिरी, स्वामी अनंतानंद, स्वामी चिदविलासानंद, स्वामी प्रेमानंद, स्वामी कमलेशानंद, महंत सूरजदास, स्वामी पारसमुनि, स्वामी नागेंद्र महाराज सहित कई संत महंत मौजूद रहे। साध्वी कृष्णानंद ने फूलमाला पहनाकर सभी संत महापुरूषों का स्वागत किया।

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