आस्थाउत्तराखंड

त्याग, तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति थी ब्रह्मलीन माता दर्शना ज्योति: महंत ज्ञानदेव सिंह

माता निशा ज्योति बनी निर्मल साधना धाम की परमाध्यक्ष

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दीपक झा (संवाददाता)

हरिद्वार। माता निशा ज्योति को निर्मल साधना धाम की परमाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। श्रवणनाथ नगर स्थित निर्मल साधना धाम की ब्रह्मलीन परमाध्यक्ष माता दर्शना ज्योति की स्मृति मंे आयोजित श्रद्धांजलि सभा के दौरान सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषांे ने चादर विधि कर माता निशा ज्योति को आश्रम की परमाध्यक्ष नियुक्त किया। श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन माता दर्शना ज्योति त्याग, तपस्या और सेवा की साक्षात प्रतिमूर्ति थी। आश्रम की नवनियुक्त परमाध्यक्ष माता निशा ज्योति अपनी गुरू ब्रह्मलीन माता दर्शना देवी के पदचिन्हांे पर चलते हुए आश्रम की सेवा परंपरा को आगे बढ़ाएंगी। महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद ने कहा कि गुरू शिष्य परंपरा सनातन धर्म की अनूठी परंपरा है। संत समाज को पूरा विश्वास है कि माता निशा ज्योति गुरू परंपरांओं का पालन करते हुए सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार और मानव कल्याण में योगदान देंगी।

श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने कहा कि सेवा सन्यास धर्म का मूल हैं। माता निशा ज्योति विद्वान संत हैं और अपनी गुरू के अधूरे कार्यो को पूरा करने में योगदान करेंगी। माता निशा ज्योति महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हंे गुरू के रूप में उन्हें ब्रहमलीन माता दर्शना ज्योति का सानिध्य प्राप्त हुआ। गुरू से प्राप्त ज्ञान और शिक्षाआंे का अनुसरण करते हुए आश्रम की सेवा परंपरा का विस्तार करना और समाज में धर्म और अध्यात्म का प्रचार प्रसार करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। श्रद्धांजलि सभा का संचालन स्वामी रविदेव शास्त्री ने किया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद, स्वामी चिदविलासानंद, संत जगजीत सिंह, महंत हर्षवर्द्धन सिंह, महंत मोहन सिंह, स्वामी दिनेश दास, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, महंत निर्भय सिंह, संत बलवीर सिंह, महंत सूरज दास, महंत गंगादास, महंत गोविंददास, संत सहदेव सिंह, महंत नारायण दास पटवारी, महंत बिहारी शरण, महंत गुरमीत सिंह, महंत रंजय सिंह सहित बड़ी संख्या में संत महंत और श्रद्धालु मौजूद रहे।

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