भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर से भी उच्च स्थान प्राप्त है: शालू सैनी

कलयुग दर्शन (24×7)
मो. नदीम (संपादक)
रूड़की। भारतीय संस्कृति में गुरु को ईश्वर से भी उच्च स्थान प्राप्त है।मेरे सबसे पहले गुरु मेरे माता पिता आज वो इस दुनिया में तो नहीं हैं, पर जिस लोक में भी उनकी आत्मा वास करती है, उन्हें मेरा कोटि-कोटि प्रणाम। लावारिसों की वारिस क्रान्तिकारी शालू सैनी ने डासना पहुंच महामंडलेश्वर यदि नरसिंहानंद गिरी जी महाराज से आशीर्वाद लेते हुए कहा कि मुझे धर्म के मार्ग पर चलने का ज्ञान देने वाले मेरे धर्म गुरुजी यति नरसिंहानंद गिरी महाराज जी व मुझे सामाजिक व राजनीति के मार्ग पर चलने के लिए समय-समय पर मेरा मार्गदर्शन करने वाले मनोज सैनी गुरुजी का गुरुपूर्णिमा पर आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
इस दुनिया में जब सब आपके खिलाफ हो सकते हैं, लेकिन एक गुरु ही ऐसे होते हैं जो तुम्हें विश्वास दिलाते है कि तू चल मेरे साथ। गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर डासना धाम देवी मंदिर में पहुंचकर समाज और राष्ट्र निर्माण में सतत् संलग्न ऐसे सभी संतो व गुरुजनों के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए।गुरु न केवल ज्ञान का प्रदाता होता है, बल्कि वह शिष्य के जीवन को सद्गुण, संस्कार और सत्य के पथ पर चलने की प्रेरणा भी देता है। गुरु ही वह प्रकाश स्तंभ है जो अंधकार रूपी अज्ञान को हटाकर जीवन को दिशा और उद्देश्य प्रदान करता है। इस पावन दिवस पर हम सभी अपने जीवन में गुरुओं के महत्व को स्मरण करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लें।
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