आस्थाउत्तराखंड

कथा सुनने की सार्थकता तभी है, जब श्रवण के साथ उस पर मनन भी किया जाए व कलयुग में हरिनाम स्मरण ही भव से पार पाने का एकमात्र उपाय: श्रीमहंत रविन्द्र पुरी

धर्म स्थापना और भक्तों की रक्षा को अवतार लेते हैं भगवान: रामेश्वरानंद

कलयुग दर्शन (24×7)

दीपक झा (संवाददाता)

हरिद्वार। भगवान शिव की ससुराल कनखल संयास मार्ग स्थित श्री रामेश्वर आश्रम में श्रीमद् भागवत कथा का रसपान कराते हुए कथा व्यास महामण्डलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने श्री कृष्ण जन्मोत्सव के प्रसंग का सुंदर वर्णन कर श्रोत्राओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा में श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज की भी उपस्थिति रही। उन्होंने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देते हुए उनके कल्याण की कामना की। इस अवसर पर श्रीमहंत रविन्द्र पुरी महाराज ने कहा कि कथा सुनने की सार्थकता तभी है, जब श्रवण के साथ उस पर मनन भी किया जाए। उन्होंने कहा कि कलयुग में केवल हरिनाम की भव से पार पाने का एकमात्र उपाय है। इसलिए प्रत्येक स्थित में भगवन नाम स्मरण करते रहना चाहिए।

कथा का रसपान कराते हुए कथा व्यास महा मण्डलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने कहाकि धर्म की स्थापना और श्रेष्ठ पुरूषों की रक्षा के लिए भगवान इस धरा धाम पर अवतार लेते हैं और अपनी लीलाओं के माध्यम से समाज को संदेश देकर जन-जन के कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करते हैं। उन्होंने कहाकि यह भगवान की लीला की थी कि भगवान के जन्म के समय पहरेदार और महल के सभी लोग निद्रा में चले गए। नन्द बाबा की बहन सुनन्दा ने गोकुल में नन्द बाबा को सूचना दी। भगवान के निर्देश पर वसुदेव श्रीकृष्ण को गोकुल में नन्द बाबा के घर ले गए। कार्यक्रम में श्रीकृष्ण जन्म की मनोरम झांकी प्रस्तुत की गई। पंडाल जय कन्हैया लाल के जयकारों से गूंज उठा। कथा व्यास ने भक्त प्रहलाद और गजेंद्र मोक्ष की कथाएं सुनाईं। उन्होंने समुद्र मंथन की गाथा का वर्णन किया। साथ ही अजामिल और मोहिनी अवतार की कथाओं का भी वर्णन किया। श्रीमती कमलेश की स्मृति में आयोजित भागवत कथा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा का श्रवण किया। जन्मोत्सव के बाद माखन-मिश्री का प्रसाद व भगवान के जन्म की खुशी में उपहार वितरित किए गए।

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