उत्तराखंड

आपदा प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने पहुंची केन्द्र की इंटर मिनिस्ट्रीयल टीम, मुख्यमंत्री धामी से की मुलाकात

कलयुग दर्शन (24×7)

मो. नदीम (संपादक)

देहरादून। उत्तराखण्ड में हाल ही में आई आपदा से हुए नुकसान का जायजा लेने आई भारत सरकार की इंटर मिनिस्ट्रीयल टीम ने सोमवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भेंट की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने राज्य की संवेदनशील भौगोलिक स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड आपदा की दृष्टि से बेहद नाजुक है। मानसून अवधि में यहां अतिवृष्टि, भूस्खलन, बाढ़ और जलभराव की गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूस्खलन से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों को मिलकर पूर्वानुमान प्रणाली को और अधिक विकसित करना होगा। उन्होंने बताया कि इस वर्ष भारी वर्षा से राज्य में जनहानि के साथ-साथ परिसंपत्तियों को भी व्यापक क्षति पहुंची है।

पर्वतीय क्षेत्रों में बादल फटने और भूस्खलन से जमीन का स्थायी नुकसान होता है, जो आगे खेती-बाड़ी या निर्माण कार्यों के लिए उपयोगी नहीं रह पाता। उन्होंने इसके लिए प्रभावी कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। गृह मंत्रालय भारत सरकार के संयुक्त सचिव आर. प्रसन्ना के नेतृत्व में आई टीम ने उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग, पौड़ी गढ़वाल, चमोली, बागेश्वर और नैनीताल जिलों के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर आपदा से हुए नुकसान का प्रत्यक्ष निरीक्षण किया। टीम में अनु सचिव शेर बहादुर, अधीक्षण अभियंता सुधीर कुमार, उप निदेशक विकास सचान, मुख्य अभियंता पंकज सिंह और निदेशक डॉ. वीरेन्द्र सिंह शामिल थे।

टीम ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे राहत कार्यों की सराहना की। टीम ने कहा कि राहत शिविरों में रहने और भोजन की व्यवस्था, मौके पर चिकित्सा सुविधा तथा अन्य मूलभूत सेवाएं बेहतर हैं। आपदा में मृतकों के परिजनों और जिनके मकान पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें 5 लाख की तात्कालिक सहायता राशि दिए जाने की पहल को भी टीम ने सराहा। इसके साथ ही राज्य सरकार द्वारा सभी गर्भवती महिलाओं का डेटा जिला प्रशासन के पास उपलब्ध रखने और उनके सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था हेतु निरंतर संपर्क बनाए रखने की पहल की भी विशेष प्रशंसा की गई।

टीम ने कहा कि इस तरह की महत्वपूर्ण व्यवस्था को अन्य राज्यों में भी लागू करने की सिफारिश की जाएगी। टीम ने भविष्य की चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि भूस्खलन और बाढ़ से नदियों में अत्यधिक सिल्ट भर जाने से जल स्तर बढ़ गया है, जिससे आगे नुकसान की संभावना बनी हुई है। इस अवसर पर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन, अपर मुख्य सचिव आर.के. सुधांशु, सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी आनन्द स्वरूप भी मौजूद रहे।

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