कलयुग दर्शन (24×7)
दीपक झा (संवाददाता)
हरीद्वार। देश के प्रसिद्ध सिद्ध पीठों में से एक मां चंडी देवी की महिमा का गुणगान विश्व भर में गाया जाता है। नील पर्वत पर स्थित माँ चंडी देवी के मंदिर में शारदीय नवरात्रों के दिनों में भक्तो में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है और देश के अन्य राज्यों से भक्त अपनी मुराद लेकर माँ चंडी मंदिर में दर्शन करने धर्मनगरी हरिद्वार आते है और माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते है।
मंदिर की मान्यता है मां चंडी के दर्शन मात्र से ही लोगों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। हरिद्वार के नील पर्वत पर मां चंडी देवी दो रूपों में विराजमान है खंभ के रूप में रुद्र चंडी और मंगल चंडी के रूप में विराजमान है।
ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में जब पृथ्वी लोक से लेकर देवलोक तक शुंभ निशुंभ राक्षसों का अत्याचार बढ़ गया था तब देवी देवताओं के आवाहन पर मां भगवती ने रुद्र चंडी का रूप धारण किया और दोनों राक्षसों का वध करके उनके अत्याचार से सभी देवी देवताओं को मुक्ति दिलाई थी।
उसके बाद भक्तों के कल्याण के लिए माँ चंडी देवी हरिद्वार में नील पर्वत पर खम्ब के रूप में विराजमान हो गई। तब से लेकर आज तक मां अपने भक्तों की मुराद पूरी कर अपने भक्तों का कल्याण करती आ रही है।
इसी लिए भक्त दूरदराज से यहाँ माता के दर्शन करने आते हैं और जिसकी जैसी मन्नत होती है वह मांगकर चुनरी बांधते हैं और मन्नत पूरी होने के बाद चुनरी खोलने दोबारा आते हैं।
शारदीय नवरात्र के दूसरे दिन चंडी देवी मंदिर में अलग ही भक्तों की रौनक देखने को मिलती है। दूर दूर से आने वाले श्रद्धालु माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते है। अपनी मन्नत को पूरी करने के लिए मंदिर में मन्नत का धागा चुनरी बांधने की भी प्रथा है। इसी लिए यहाँ पर माता के भक्त दर्शन करने आते है।
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