उत्तराखंड

मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोण्डे की पहल लायी रंग, कांवड़ मेला बना आजीविका संवर्द्धन का माध्यम

कलयुग दर्शन (24×7)

नरेश कुमार मित्तल (संवाददाता)

हरिद्वार। जनपद हरिद्वार में कांवड़ मेला 11 जुलाई से प्रारंभ होकर 23 जुलाई को सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया है। जिसमें करोड़ों की संख्या में शिवभक्त हरिद्वार पहुंचे थे। वहीं एक सुनहरा अवसर देखने को मिला जब स्वयं सहायता समूहों से जुडे़ सदस्य अपनी आजीविका वृद्वि के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार की सेवायें उपलब्ध कराई। इसी को ध्यान में रखते हुए जनपद हरिद्वार की मुख्य विकास अधिकारी श्रीमती आकांक्षा कोण्डे द्वारा सभी विकास खण्डों को निर्देशित किया गया था कि कांवड़ मेला क्षेत्र में और आस-पास स्वयं सहायता समूहों की स्टॉल लगवाई जायें जिससे महिलाएं खाद्य सामग्री, हस्तशिल्प वस्तुओं आदि की ब्रिकी कर अपनी आय बढ़ा सकें। मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोण्डे द्वारा स्वयं सहायता समूह सदस्यों एवं सहकारिता सदस्यों द्वारा तैयार उत्पादों को स्टॉल लगाकर ब्रिकी करने हेतु विभिन्न विभागों से समन्वय और अनुमति प्राप्त करने हेतु सहायक परियोजना निदेशक-जिला मिशन प्रबन्धक, हरिद्वार नलिनीत घिल्डियाल को नोडल अधिकारी बनाया गया और प्रतिदिन बिक्री का रिकॉर्ड व्यवस्थित करवाने हेतु कहा गया।

मुख्य विकास अधिकारी आकांक्षा कोण्डे ने बताया कि हरिद्वार जनपद में वर्तमान में कांवड़ मेला क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर 18 सी०एल०एफ के स्वयं सहायता समूहों सहकारिता सदस्यों द्वारा 60 से भी अधिक स्थानों पर पानी, चाय, नाश्ता, जूस, भोजन, फल, बेकरी उत्पाद कांवड़ आदि से संम्बधिंत स्टॉल लगाये गये है। इनमें प्रतिदिन होने वाली बिक्री का रिकॉर्ड रखा गया। 21 जुलाई तक इन स्टॉलों में 1 लाख से लगभग 4 लाख के बीच तक दैनिक बिक्री रिकॉर्ड की गई है। कांवड़ मेला अवधि में 11 दिन तक इन स्टॉलों के माध्यम से कुल लगभग 28 लाख की बिक्री कर ली गई है। वर्तमान में चार धाम यात्रा भी चल रही है। अतः इसे देखते हुए स्वयं सहायता समूहों सहकारिता सदस्यों द्वारा लगाई गई स्टॉलों को अभी आगे भी जारी रखे जाने पर विचार है। जिससे चार धाम यात्रा सीजन में उनको अधिक से अधिक आय सृजन करने का अवसर प्राप्त हो सके।

मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री के निर्देशन में भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही ‘लखपति दीदी‘ योजना का मुख्य उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को आजीविका संवर्द्धन के अवसर उपलब्ध कराते हुए उनकी आय को कम से कम 1 लाख रूपये करना है। इस हेतु यह आवश्यक है कि उन्हें आय सृजन के अवसर सुलभ कराये जाये, काँवड़ मेला के दौरान स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को अपने उत्पादों की बिक्री कर आय सृजन का जो सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ। उससे वह बहुत उत्साहित हैं और यह प्रयोग बेहद सफल रहा। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी हुई महिलाओं ने बताया कि कांवड़ मेले के दौरान स्टॉल लगाने में उन्हें उच्च अधिकारियों का उन्हें पूरा सपोर्ट मिला है और उन्होंने खाने चाय पकौड़े फलों के स्टॉल लगाए और उनकी आमदनी में इजाफा हुआ है। इससे उन्हें बहुत आत्म बल मिला और अपनी आमदनी बढ़ाने का मौका मिला जिससे वह बहुत खुश है।

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