उत्तराखंड

कैडेट्स ने सीखा, कैसे बनाई जाती है ड्रम और प्लास्टिक की बोतलों से राफ्ट

कलयुग दर्शन (24×7)

नरेश मित्तल (संवाददाता)

हरिद्वार। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) गृह मंत्रालय, भारत सरकार तथा उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA), द्वारा संचालित युवा आपदा मित्र परियोजना के अंतर्गत एन.सी.सी. कैडेट्स के लिए आयोजित सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन कैडेट्स को बाढ़ से बचाव के उपायों की जानकारी दी गई तथा बाढ़ के दौरान किस प्रकार राहत और बचाव कार्य संचालित किए जा सकते हैं, इसके तकनीकी पहलुओं से रूबरू कराया गया। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार में आयोजित शिविर के दूसरे दिन के दूसरे सत्र में एन.डी.आर.एफ. (NDRF) के इंस्पेक्टर श्री दीपक द्वारा कैडेट्स को बाढ़ से संबंधित खतरों, उनसे बचाव के तरीकों, और आपात स्थिति में किए जाने वाले प्राथमिक उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। उन्होंने आकस्मिक स्थिति में स्थानीय संसाधनों जैसे प्लास्टिक की बोतलें, बांस, रस्सी आदि की मदद से तैरने वाले उपकरण (इम्प्रोवाइज्ड फ्लोटेशन डिवाइसेज़) बनाने का तरीका बताया, जिससे सीमित संसाधनों में भी लोगों की जान बचाई जा सकती है।

NDRF टीम द्वारा इन उपकरणों का व्यावहारिक प्रदर्शन भी किया गया, जिससे कैडेट्स को रेस्क्यू तकनीकों को प्रत्यक्ष रूप से देखने और सीखने का अवसर मिला। इस दौरान कैडेट्स ने केरोसिन टिन राफ्ट, चारपाई राफ्ट, बांस से बनी राफ्ट, बैरल राफ्ट, केले के वृक्ष से बनी राफ्ट, ट्यूब राफ्ट, पानी की बोतल से बनी राफ्ट व लाइफ जैकेट, थर्मोकोल से बनी लाइफ जैकेट बनाने की विधि को सीखा। इसके साथ ही पानी में डूब रहे व्यक्ति को किस प्रकार बचाया जा सकता है, इसके बारे में भी कैडेट्स को बताया गया। कैडेट्स ने रीच विधि, थ्रो विधि, वेड विधि, वेट रेस्क्यू, कांटेक्ट टो रेस्क्यू आदि तकनीक को भी सीखा। प्रशिक्षण के पहले सत्र में मास्टर ट्रेनर श्री मनोज कंडियाल द्वारा कैडेट्स को आपदा प्रबंधन की मूल अवधारणाओं से अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि आपदा केवल एक घटना नहीं होती, बल्कि इसके सामाजिक, आर्थिक व मानसिक प्रभाव होते हैं। इस दौरान आपदाओं के प्रकार, उनकी गंभीरता, युवाओं की भूमिका और आपदा की स्थिति में किए जाने वाले त्वरित उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई। बता दें कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवाओं को सजग, सक्षम और उत्तरदायी नागरिक के रूप में तैयार करना है, ताकि वे आपदा की स्थिति में स्वयं की और दूसरों की रक्षा कर सकें तथा अपने समुदाय में जन-जागरूकता फैलाकर आपदा जोखिम को कम करने में योगदान दे सकें।

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