उत्तर प्रदेशप्रशासन

12 लाख के लोन विवाद में कोर्ट के आदेश पर दुकान सीज

कलयुग दर्शन (24×7)

अबलीश कुमार (सहारनपुर संवाददाता)

सहारनपुर। अंबेहटा के मुख्य बाजार में वर्षों से चल रहा एक पुराना विवाद मंगलवार को उस समय बड़े प्रशासनिक एक्शन में बदल गया, जब कोर्ट के स्पष्ट आदेश पर एक विवादित दुकान को प्रशासन ने भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सीज कर दिया। यह मामला पिछले काफी समय से कानूनी दांव-पेंच में उलझा हुआ था और बाजार के स्थानीय व्यापारियों के लिए भी तनाव का कारण बना हुआ था। घटना के दौरान बाजार में भीड़ जमा होने से माहौल गर्म हुआ, लेकिन पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए पूरी कार्रवाई को शांतिपूर्ण ढंग से पूरा किया। जानकारी के अनुसार, संबंधित दुकान पर 12 लाख रुपये का पुराना लोन बकाया था, जिसे कई वर्षों से चुकाया नहीं गया था। निजी फाइनेंस कंपनी ने लगातार नोटिस भेजने और रिकवरी प्रक्रिया शुरू करने के बाद अंततः मामला कोर्ट में पहुंचाया, जहां सुनवाई के बाद अदालत ने दुकान को सीज करने का आदेश जारी किया। अदालत का आदेश मिलते ही प्रशासन, तहसील टीम, और पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और दुकान को सील करने की कार्रवाई शुरू कर दी। कार्रवाई के दौरान पूरे मुख्य बाजार में पुलिस कर्मी तैनात थे, ताकि किसी भी प्रकार का हंगामा या अव्यवस्था न हो सके। दुकानदारों को भी अस्थायी रूप से दुकानों की शटर बंद रखने की सलाह दी गई थी। कार्रवाई के दौरान माहौल पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा, लेकिन पूरे बाजार में इस विषय पर चर्चाएं पूरे दिन गूंजती रहीं। दुकान मालिक ने इस कार्रवाई को लेकर बड़ा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि उन्होंने यह दुकान रणदेवा गांव के एक व्यक्ति से 18 लाख रुपये में खरीदी थी और पूरी रकम भुगतान करने के बाद दुकान उनके नाम पर हस्तांतरित कर दी गई थी।

आरोप है कि दुकान बेचने वाले व्यक्ति ने जानबूझकर यह सच्चाई छिपाई कि उस दुकान पर पहले से 12 लाख का लोन बकाया है और फाइनेंस कंपनी की नोटिस भी जारी हो चुकी हैं। दुकान स्वामी का कहना है कि वह इस धोखाधड़ी का शिकार हुए हैं और अब उन्हें कोर्ट-कचहरी के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। दूसरी ओर फाइनेंस कंपनी का कहना है कि लोन कई वर्षों से अटका हुआ था और रिकवरी की सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद ही दुकान को सीज करने की नौबत आई। कंपनी के अनुसार, दुकान बेचने वाले व्यक्ति ने कर्ज चुका देने का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में वह गायब हो गया, जिसके चलते कंपनी को कानून के सहारे दुकान कब्जे में लेने की प्रक्रिया अपनानी पड़ी। इस विवाद ने बाजार में कई सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या दुकान खरीदते समय लोन और बकाया की पूरी जानकारी खरीदार को दी गई थी? क्या साजिश के तहत लोन छिपाकर दुकान बेची गई? या खरीदार ने डील बिना दस्तावेज़ी जांच के कर ली? इन सवालों पर अब कोर्ट में ही फैसला होगा। अधिकारियों ने साफ कहा है कि पूरी कार्रवाई अदालत के लिखित आदेश पर की गई है और आगे की प्रक्रिया भी कोर्ट के निर्देश के मुताबिक ही चलेगी। फिलहाल दुकान को सीज कर दिया गया है और दोनों पक्षों को अदालत में अपने दस्तावेज़ और साक्ष्य पेश करने होंगे। अंबेहटा बाजार के व्यापारी इस कार्रवाई को एक “बड़ी मिसाल” बता रहे हैं। कई व्यापारियों का कहना है कि दुकान या मकान खरीदते समय सभी दस्तावेजों की पूरी तरह जांच करना बेहद ज़रूरी है। वहीं, कुछ लोग इसे “धोखाधड़ी का गंभीर मामला” बताकर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि कानून व्यवस्था पर कोई असर न पड़े, इसलिए लगातार निगरानी रखी जा रही है। इस पूरी घटना ने साबित किया है कि लापरवाही और अधूरी जानकारी से किया गया कोई भी सौदा आगे चलकर भारी नुकसान और कानूनी विवाद का कारण बन सकता है। आने वाले दिनों में कोर्ट की अगली सुनवाई में इस मामले का अगला अध्याय स्पष्ट होगा।

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